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एमपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री के बेटे को उम्रकैद, भाई-भाई के लिए बने जानी दुश्मन; छत्तीसगढ़ कोर्ट का फैसला, जानें
भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री के बेटे को अपने छोटे भाई और उसके परिवार की जान लेने के जुर्म में उम्रकैद की सजा मिली है। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की एक अदालत ने बुधवार को यह फैसला सुनाया। पूर्व डेप्युटी सीएम प्यारेलाल कंवर के बेटे हरभजन कंवर उम्र 52 और चार अन्य लोगों ने संपत्ति विवाद के चलते हरिश कंवर उम्र 40, उनकी पत्नी सुमित्रा कंवर उम्र 35 और उनकी चार साल की बेटी यशिका की हत्या की थी।
कौन हैं पूर्व डेप्युटी सीएम
पूर्व डेप्युटी सीएम प्यारेलाल कंवर कांग्रेस के एक वरिष्ठ आदिवासी नेता थे। वे 1993 से 1998 तक दिग्विजय सिंह की सरकार में अविभाजित मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री थे। 2011 में उनका निधन हो गया। हरिश भी राजनीति में थे। यह हत्या 21 अप्रैल, 2021 को सुबह लगभग 4.15 बजे हुई थी। आरोपियों ने कथित तौर पर हरभजन और हरिश की मां जानकी बाई के सामने कसाई के चाकू से तीन लोगों के परिवार की हत्या कर दी।
चेहरे पहचानना मुश्किल था
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह हमला इतना क्रूर था कि हरिश और उनकी बेटी के चेहरे पहचानना मुश्किल था। हरिश ने एक धारदार हथियार से मुकाबला किया और परमेश्वर के चेहरे पर चोट भी पहुंचाई। मामले की जांच करने वाले इंस्पेक्टर लखन लाल पटेल ने मीडिया को बताया कि आरोपी अज्ञात थे।
ऐसे पकड़ाए आरोपी
हमने आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच शुरू की, जिससे हमें वह रास्ता पता चला जिस पर आरोपी भागे थे। पहला सुराग तब मिला जब हमें पता चला कि परमेश्वर का उसी रास्ते पर कथित तौर पर एक्सीडेंट हो गया था। उससे पूछताछ की गई और यह स्पष्ट हो गया कि वह झूठ बोल रहा था। हमने उससे हत्या के बारे में पूछा और उसने हमें बताया कि वह हरभजन का रिश्तेदार है। उसने इनकार करता रहा लेकिन जैसे-जैसे हमने और सबूत इकट्ठा किए, उसने अपराध स्वीकार कर लिया। पुलिस को हरभजन के परिवार के सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किए गए एक फोन से परमेश्वर को भेजा गया एक टेक्स्ट मैसेज भी मिला। इसमें लिखा था कि वे घर से निकल गए हैं और दरवाजा खुला छोड़ गए हैं।
संपत्ति विवाद ने परिवार को निगला
संदेश में परमेश्वर से चार साल की बच्ची की जान बख्शने की गुहार लगाई गई थी। परिवार के सदस्यों के बयान दर्ज करते समय, पुलिस को पता चला कि हरभजन और हरिश के बीच अक्सर संपत्ति विवाद को लेकर झगड़ा होता था। परिवार ने सरकार को ज़मीन का एक टुकड़ा बेच दिया था। लेकिन हरिश ने मुआवजे के पैसे के साथ-साथ अपनी मां की पेंशन भी रख ली थी, जिसके कारण दुश्मनी हो गई थी। सरकारी वकील कृष्ण कुमार द्विवेदी ने पुष्टि की कि सभी पांचों आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी गई है।
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