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महानदी जल विवाद पर छत्तीसगढ़-ओडिशा के मुख्यमंत्रियों के बीच सुलह की पहल

रायपुर। छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी जल विवाद को लेकर बीते 42 वर्षों से जारी तनाव को सुलझाने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री सकारात्मक पहल की ओर बढ़ रहे हैं। शनिवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ओडिशा प्रवास के दौरान वहां के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी से सौजन्य भेंट की।
इस भेंट के दौरान दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच महानदी विवाद के मुद्दे पर चर्चा हुई, जिसमें सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने पर सहमति बनी। इस दिशा में जल्द ही दोनों राज्यों के अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक होने की संभावना है।
ओडिशा सीएम ने जताई सौहार्दपूर्ण हल की इच्छा
ओडिशा के मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री साय के ओडिशा प्रवास के दौरान इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल करने पर जोर दिया। उनका कहना था कि दोनों राज्य पड़ोसी हैं और उनकी भाषा व संस्कृति में काफी समानताएं हैं।
ऐसे में जल विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाना जरूरी है, ताकि दोनों राज्यों की जनता को लाभ मिल सके। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया और कहा कि आपराधिक मुकदमों या कानूनी लड़ाई से बेहतर है कि दोनों राज्य आपसी सहमति से इसका समाधान निकालें।
क्या है महानदी जल विवाद की जड़
महानदी का उद्गम छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सिहावा पर्वत से होता है। यह नदी 885 किलोमीटर लंबी है और छत्तीसगढ़ में 285 किलोमीटर तक बहती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में पैरी, सोंढुर, शिवनाथ, हसदेव, अरपा, जोंक और तेल शामिल हैं।
इस नदी पर छत्तीसगढ़ में रुद्री बैराज व गंगरेल बांध, जबकि ओडिशा में हीराकुंड बांध स्थित है। विवाद की जड़ हीराकुंड बांध से जुड़ी है। यह बांध ओडिशा के संबलपुर जिले में स्थित है, जिसे केंद्र सरकार ने बनवाकर ओडिशा को सौंपा था। जब भी गर्मियों में इस बांध में जलस्तर कम होता है, ओडिशा सरकार छत्तीसगढ़ से अधिक पानी की मांग करती है।
छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि हीराकुंड बांध का मूल उद्देश्य जल संरक्षण और सिंचाई था, लेकिन ओडिशा सरकार इसका अतिक्रमण कर औद्योगिक उपयोग के लिए अधिक पानी ले रही है। वहीं, ओडिशा सरकार का दावा है कि छत्तीसगढ़ अपने इलाके में नई परियोजनाएं बनाकर जल प्रवाह को प्रभावित कर रहा है, जिससे ओडिशा में जल संकट बढ़ रहा है।
मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन
यह विवाद 1983 से चला आ रहा है और वर्तमान में यह सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। केंद्र सरकार के निर्देश पर इस मुद्दे को सुलझाने के लिए महानदी जल विवाद प्राधिकरण का गठन किया गया था, जिसकी कई बैठकें हो चुकी हैं। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के माध्यम से भी समाधान निकालने के प्रयास जारी हैं, लेकिन अब राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा सौहार्दपूर्ण हल निकालने की पहल से इस विवाद का जल्द समाधान निकलने की उम्मीद बढ़ गई है।
क्या होगा आगे?
सहमति के बाद अब दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच जल्द ही उच्च स्तरीय बैठक होगी। इसमें जल बंटवारे को लेकर ठोस रणनीति बनाई जाएगी, ताकि लंबे समय से चला आ रहा यह विवाद बातचीत के जरिए हल हो सके। अगर यह पहल सफल होती है तो दोनों राज्यों के बीच सहयोग और समन्वय बढ़ेगा, जिससे महानदी बेसिन क्षेत्र के विकास को भी गति मिलेगी। दोनों राज्यों में डबल इंजन की सरकार होने से विवाद के पटाक्षेप की संभावना है।
इंद्रावती: ओडिशा में बीजेडी ने किया पानी देने का विरोध
नईदुनिया प्रतिनिधि, जगदलपुर: पड़ोसी राज्य ओडिशा में इंद्रावती नदी-जोरा नाला संगम से छत्तीसगढ़ की ओर जल बहाव बढ़ाने को लेकर राजनीति गरमा गई है। रविवार को वहां के प्रमुख विपक्षी दल बीजू जनता दल (बीजेडी) के कार्यकर्ताओं ने इंद्रावती नदी-जोरा नाला संगम में पहुंचकर वहां चल रहे रेत की सफाई कार्य का विरोध किया। प्रदर्शनकारी यथा स्थिति बनाए रखने की मांग कर रहे थे।
उनका कहना था कि छत्तीसगढ़ की ओर इंद्रावती नदी में पर्याप्त पानी जा रहा है। ओडिशा की भाजपा सरकार स्थानीय किसानों के हितों की उपेक्षा कर छत्तीसगढ़ को ज्यादा पानी देने का प्रयास कर रही है। विरोध प्रदर्शन के चलते कुछ समय के लिए वहां तनाव की स्थिति निर्मित हो गई थी। मौके पर बीजेडी के डेढ़ सौ से अधिक कार्यकर्ता पार्टी के झंडे लेकर पहुंचे थे।
बताया गया कि बीजेडी के जैपुर के पूर्व विधायक रवि नारायण नंद भी पहुंचे थे, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई। सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर बाद तक प्रदर्शनकारी संगम स्थल में डटे रहे और काम को बंद करवा दिया।
गौरतलब है कि इंद्रावती नदी जल बंटवारे के अंतर्गत समझौते के अनुसार गैर मानसून सीजन में दोनों राज्यों को संगम से 50-50 प्रतिशत पानी दिया जाना है। छत्तीसगढ़ की ओर 50 प्रतिशत पानी का जलबहाव नहीं होने से रेत की सफाई कर जल बहाव बढ़ाने का काम जल संसाधन विभाग ओडिशा ने शुरू किया है।
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