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बड़े काम का है महुआ! दवाई भी कमाई भी, जानिए कैसे छत्तीसगढ़ में वनोपज से बढ़ रही है आमदनी

2 weeks ago
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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ (Mahua) न केवल एक महत्वपूर्ण आय का साधन है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है. स्थानीय महिलाएं और ग्रामीण इसे इकट्ठा कर बाजारों में बेचते हैं, जिससे उन्हें अच्छी आमदनी प्राप्त होती है. स्थानीय महिला संतोषी सिंह ने बताया कि वह एक महीने से महुआ बीन रही हैं और इसे बाजारों में भेजती हैं. इसी तरह, स्थानीय महिला राजकुमारी ने बताया कि वे महुआ को बीनकर सुखाकर 50 से 60 रुपये प्रति किलो बेचती हैं. तो वहीं स्थानीय निवासी राजकुमार मिश्रा ने बताया कि महुआ छत्तीसगढ़ के ग्रामीणों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक स्रोत है.

ग्रामीणों ने दिया ये सुझाव

ग्रामीण महुए को सुबह-सुबह इकट्ठा करते हैं और सुखाकर बाजार में बेचते हैं. उन्होंने बताया कि मजदूरी की तुलना में महुआ बीनकर अधिक आमदनी होती है. उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को महुआ बीनने वालों के लिए विशेष योजनाएं शुरू करनी चाहिए, जैसे कि तेंदूपत्ता तोड़ने वालों के लिए चप्पल योजना लागू की गई है. साथ ही, उन्होंने मुनगा (ड्रमस्टिक) की खेती को भी बढ़ावा देने का सुझाव दिया, जिससे ग्रामीणों को अधिक लाभ मिल सके.

महुआ के औषधीय गुण

आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बीआर नायक ने बताया कि महुआ शरीर के लिए अत्यंत फायदेमंद है. इसका वैज्ञानिक नाम ‘मधुका न्यूसिफेरा’ है. यह आदिवासियों के जीवन और आय का बड़ा स्रोत है. महुआ के फूल और बीज औषधीय दृष्टि से अत्यंत उपयोगी होते हैं. महुआ के बीज से निकाला गया तेल गठिया और संधि वात जैसे रोगों के इलाज में लाभकारी होता है. उन्होंने यह भी बताया कि महुआ के फूल को दूध में उबालकर पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे कई बीमारियों से बचाव होता है. ग्रामीण क्षेत्र के लोग इसे इमली के बीज और मूंगफली के साथ उबालकर सेवन करते हैं, जो शरीर को बल प्रदान करता है.

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