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शरद कोकस की मराठी कविता और हिंदी में अनुवाद- शरद कोकास

2 weeks ago
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[ कभी आपके मन में ख्याल आया है कि मरने के बाद हमारे मोबाइल का क्या होगा? बस इसी विचार पर लिखी है प्रगतिशील कवि शरद कोकास ने यह कविता. मूल कविता मराठी में है, इसका हिंदी अनुवाद मूल कवि शरद कोकास द्वारा ही की गई है. मराठी और हिंदी इस कविता का पाठ ‘छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ’ भिलाई-दुर्ग के तत्वावधान में आयोजित ‘अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ’ के 90वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में ‘बहुभाषीय काव्य पाठ’ के आयोजन में शरद कोकास ने पढ़ा.]

▪️ मृत्यु नंतर मोबाइल
[ मराठी भाषा में ]

त्यांचा अलार्म वाजत होता.
ते रोज सकाळी
मॉर्निंग वॉकसाठी जात असत
अलार्मला काय माहीत
की ते अश्या प्रवासाला
निघून गेले आहेत
जिथून परत येणे शक्य नाही

ते अश्या चिरनिद्रेत झोपले आहेत
ज्याला जगातलं कोणतंही अलार्म
जागं करू शकत नाही

ज्या मोबाइलला ते जिवंत असताना हात लावू देत नव्हते
किती कष्टाने त्याच मोबाइलवरून
त्यांच्या मुलाने त्यांना स्पर्श केला असेल
आणि म्हटलं असेल,
बाबा तुम्ही कुठे आहात

अर्धांगिनी पासून ते लपवून ठेवत होते जे काही
आज तिनं पाहिलं
त्यात लपवून ठेवण्यासारखं
काहीच नव्हतं
ना कोणत्याही स्त्रीचं चित्र,
ना तिचा पत्ता
ना कोणती कॉल रेकॉर्डिंग किंवा चैट

मोबाइल पाहून ती विचारते
मग काय लपवत होता तुम्ही यात?
मोबाइल हसतो
आणि ए आइ एक फोल्डर उघडून ठेवतो समोर
‘तुझ्या साठी लिहिलेल्या कविता’

नोटिफिकेशन साउंड
त्यांनी कधीच बंद केला नाही
ते म्हणायचे
की जीवनाच्या या ओसाड मध्ये
हाच आवाज त्यांना जिवंत ठेवतो

आवाज आपलं कर्तव्य अजूनही निभावतो आहे
शेवटी तो एका सजीवा चा नाही,
निर्जीव मोबाइल चा देह आहे

एक मेसेज टोन वाजतो
एखाद्या कंपनीकडून
वाढदिवसाच्या शुभेच्छांचा मेसेज आला आहे
कंपनीवाल्यांना काय माहीत
त्यांच्याकडे माणसांच्या मेंदूत नाही
मशिनीत त्यांच्या ग्राहकांचा
डेटा फीड आहे

अचानक रिंगटोन वाजतो
परदेशातून एखाद्या मित्राचा फोन आहे
“अरे यार, कधीतरी फोन उचल ना
आज तरी तू लगेच उचललास”

दुसऱ्या बाजूला
एक अनोळखी आवाज ऐकू येतो
“काका, मी त्यांची मुलगी बोलते आहे
पप्पा तर मागच्या महिन्यात…”
पुढच्या संवादात फक्त काही प्रश्न आहेत
अरे, कधी, कसं ?
आणि उत्तरात फक्त हुंदके

अजून काही दिवस हा मोबाइल
चार्जिंगला लावलेला राहील
अजून बँक, विमा, बाजारात
हाच नंबर आहे
मग हळूहळू सगळं बदलेल
मृत्यू प्रमाणपत्रासोबत दिलेल्या अर्जांमध्ये
हा नंबर बंद करण्याचा आग्रह असेल

मग एक दिवस
घराच्या एखाद्या कोपऱ्यात
धुळीने भरलेल्या अडगळीत
याला जागा मिळेल
जशी जुन्या पिढीच्या
जिवंत लोकांना मिळते

माणूस असो वा मोबाइल
आता नव्या जनरेशन समोर
जुन्या जनरेशन चा हाच अंजाम आहे.

▪️
मृत्यु के बाद मोबाइल
[ हिंदी अनुवाद ]

उनका अलार्म बज रहा था
वे रोज सुबह
मॉर्निंग वॉक के लिए जाते थे
अलार्म को क्या पता
कि वे ऐसी यात्रा पर
निकल गए हैं
जहाँ से लौटना संभव नहीं

वे ऐसी गहरी नींद में सो गए हैं,
जिसे दुनिया का कोई भी अलार्म
जगा नहीं सकता

जिस मोबाइल को वे ज़िंदा रहते
हाथ नहीं लगाने देते थे
कितने कष्ट से उसी मोबाइल से
उनके बेटे ने उन्हें छुआ होगा
और कहा होगा,
“पापा, आप कहाँ हैं?”

अर्धांगिनी से वे जो कुछ छुपाते थे,
आज उसने देखा
उसमें छुपाने लायक
कुछ भी नहीं था—
न किसी स्त्री की तस्वीर,
न उसका पता,
न कोई कॉल रिकॉर्डिंग, न चैट

मोबाइल को देखकर वह पूछती है,
“फिर इसमें क्या छुपाते थे तुम?”
मोबाइल हँसता है
और ए आई एक फोल्डर खोलकर सामने रख देता है—
‘तुम्हारे लिए लिखी कविताएँ’।

नोटिफिकेशन साउंड
उन्होंने कभी बंद नहीं किया।
वे कहते थे
कि जीवन के इस सूनेपन में
यही आवाज़ उन्हें जीवित रखती है

आवाज़ अपना कर्तव्य अब भी निभा रही है,
आखिर यह किसी सजीव की नहीं,
निर्जीव मोबाइल की देह है

एक मैसेज टोन बजती है,
किसी कंपनी से
जन्मदिन की शुभकामनाओं का मैसेज आया है
कंपनी वालों को क्या पता,
उनके पास इंसानों के दिमाग में नहीं,
मशीन में ग्राहकों का
डेटा फीड है

अचानक रिंगटोन बजती है,
विदेश से किसी दोस्त का फोन है
“अरे यार, कभी तो फोन उठा लिया कर,
आज तो तूने फट से उठा लिया।”

दूसरी तरफ
एक अनजान आवाज सुनाई देती है,
“अंकल, मैं उनकी बेटी बोल रही हूँ,
पापा तो पिछले महीने…..”
आगे के संवाद में बस कुछ सवाल हैं—
“अरे, कब, कैसे?”
और जवाब में सिर्फ सिसकियाँ।

अभी कुछ दिनो तक यह मोबाइल
चार्जिंग पर लगा रहेगा
अभी बैंक, बीमा, बाजार में
यही नंबर है
फिर धीरे-धीरे सब बदल जाएगा
मृत्यु प्रमाणपत्र के साथ दिए आवेदनों में
इस नंबर को बंद करने का आग्रह होगा

फिर एक दिन
घर के किसी कोने में,
धूल से भरे कबाड़ में
इसे जगह मिलेगी,
जैसी पुरानी पीढ़ी के
जीवित लोगों को मिलती है

इंसान हो या मोबाइल,
अब नई जनरेशन के सामने
पुरानी जनरेशन का यही अंजाम है।

• कवि संपर्क-
• 88716 65060

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