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मुलाकात-भेंट : बांग्ला-हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि प्रकाशचंद्र मण्डल की कृति ‘फिर भी चलना होगा’ {हिंदी काव्य संग्रह} और ‘कखोन जे कोन कथा कविता होए जाय’ {बांग्ला काव्य संग्रह} की प्रति ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के संपादक प्रदीप भट्टाचार्य और श्रीमती शेफाली भट्टाचार्य को स सम्मान भेंट किया
• चित्र-1 {बाएँ से} श्रीमती सुमिता मण्डल, श्रीमती शेफाली भट्टाचार्य और प्रदीप भट्टाचार्य
• चित्र-2 {बाएँ से} प्रकाशचंद्र मण्डल, प्रदीप भट्टाचार्य और श्रीमती शेफाली भट्टाचार्य
भिलाई [प्रदीप भट्टाचार्य]
छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं देश के अति महत्वपूर्ण बांग्ला-हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि प्रकाशचंद्र मण्डल का हॉल में 2 काव्य संग्रह कोलकाता से छप कर आई है. बांग्ला काव्य संग्रह ‘कखोन जे कोन कथा कविता होए जाय’ इसका हिंदी अर्थ है ‘कब कौन सा शब्द कविता हो जाए’ और हिंदी काव्य संग्रह ‘फिर भी चलना होगा’. दोनों काव्य संग्रह का विमोचन विगत दिनों भिलाई में एक भव्य समारोह में किया गया.
{बाएँ से} कैलाश बरमेचा जैन, प्रदीप भट्टाचार्य, प्रकाशचंद्र मण्डल, श्रीमती शेफाली भट्टाचार्य और श्रीमती सुमिता मण्डल
बीते दिनों मैं और मेरी पत्नी श्रीमती शेफाली भट्टाचार्य, प्रकाशचंद्र मण्डल और भाभी जी श्रीमती सुमिता मण्डल के आग्रह पर इनके निवास पर सौजन्य मुलाकात करने गए. इस छोटी सी मुलाकात में चाय-नाश्ता के साथ साहित्यिक चर्चा हुई. मण्डल दंपति द्वारा नव प्रकाशित दोनों संग्रह को हमें भेंट किए. दोनों प्रकाशित संग्रह की समीक्षा किसी दिन और करेंगे.
•प्रकाशचंद्र मण्डल को उनकी दोनों कृति के लिए हमारी तरफ से अशेष हार्दिक शुभकामनाएं…
chhattisgarhaaspaas
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