- Home
- Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ आसपास
संयंत्र की खबरें…






छत्तीसगढ़ आसपास
संयंत्र की खबरें…
भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिबॉर्न दासगुप्ता द्वारा युनिवर्सल रेल मिल में नवीन रिफिनिशिंग कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने 23 अप्रैल 2025 को यूनिवर्सल रेल मिल (यूआरएम) में एक नए रिफिनिशिंग कॉम्प्लेक्स के उद्घाटन के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी श्री अनिर्बान दासगुप्ता ने वरिष्ठ अधिकारियों और कार्यपालकगण की उपस्थिति में इस नवीन सुविधा का विधिवत उद्घाटन किया।
इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक (परियोजनाएं) श्री एस. मुखोपाध्याय, कार्यपालक निदेशक (वित्त एवं लेखा) श्री प्रवीण निगम, कार्यपालक निदेशक (माइन्स) श्री बी.के. गिरि, कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) श्री राकेश कुमार, कार्यपालक निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ. रविंद्रनाथ एम., तथा वरिष्ठ कार्यपालकगण – मुख्य महाप्रबंधक (परियोजनाएं-कमर्शियल) श्री अनुराग उपाध्याय, मुख्य महाप्रबंधक (परियोजनाएं) श्री उन्मेष भारद्वाज, मुख्य महाप्रबंधक (सीईटी-भिलाई उपकेंद्र) श्री प्रणय कुमार, मुख्य महाप्रबंधक (परियोजनाएं) श्री मानस कुमार गुप्ता, महाप्रबंधक प्रभारी (यूआरएम) श्री विशाल गुप्ता तथा भिलाई इस्पात संयंत्र के अन्य कार्यपालक उपस्थित रहे।
रिफिनिशिंग कॉम्प्लेक्स परियोजना का कार्य मेसर्स मैको कॉर्पोरेशन (इंडिया) प्रा. लि. (कंसोर्टियम लीडर) एवं मेसर्स यूजीआई इंजीनियरिंग वर्क्स प्रा. लि. (कंसोर्टियम सदस्य) को सौंपा गया था, जिसमें सीईटी परामर्शदाता के रूप में शामिल रहा। इस परियोजना को महाप्रबंधक प्रभारी (परियोजनाएं-सीएस, टीएस एवं माइन्स) श्री एम.वी. रामप्रसाद के मार्गदर्शन में तथा उनकी टीम, महाप्रबंधक (परियोजना-मिल्स) श्री डी.के. जायसवाल, महाप्रबंधक (परियोजना-मिल्स) श्री जी. वाधवा, उपमहाप्रबंधक (परियोजना-मिल्स) श्री अभिषेक श्रीवास्तव, सहायक महाप्रबंधक (परियोजना-मिल्स) श्री के. मानकर एवं वरिष्ठ प्रबंधक (परियोजना-मिल्स) श्री सी.पी. तिवारी के सहयोग से सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया गया।
22 अगस्त 2024 को कमीशन किया गया यह नया रिफिनिशिंग कॉम्प्लेक्स, 65 मीटर लंबे दोषयुक्त रेलों को दोष स्थान के अनुसार 13 मीटर एवं 26 मीटर की उपयोगी लंबाई में काटकर पुनः प्रयोग हेतु तैयार करने हेतु विकसित किया गया है। यह रणनीतिक सुविधा जीपी-1 एवं जीपी-2 रोलर टेबल्स का अधिकतम उपयोग करते हुए यूनिवर्सल रेल मिल में 130 मीटर लंबी रेलों के उत्पादन क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि सुनिश्चित करेगी।
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र में कोक ओवन बैटरी-7 की चिमनी-7 का प्रज्वलन निदेशक प्रभारी अनिबॉर्न दासगुप्ता द्वारा सम्पन्न
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने 23 अप्रैल 2025 को ‘कोक ओवन बैटरी-7 एवं 8 के पुनर्निर्माण’ परियोजना के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज करते हुए बैटरी-7 की चिमनी-7 का सफलतापूर्वक प्रज्वलन किया। यह समारोह संयंत्र के निदेशक प्रभारी श्री अनिर्बान दासगुप्ता के नेतृत्व में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक (परियोजनाएं) श्री एस. मुखोपाध्याय, कार्यपालक निदेशक (वित्त एवं लेखा) श्री प्रवीण निगम, कार्यपालक निदेशक (माइन्स) श्री बी.के. गिरी, कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) श्री राकेश कुमार, कार्यपालक निदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ. रविंद्रनाथ एम., तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। इस आयोजन में मुख्य महाप्रबंधक (परियोजनाएं-वाणिज्यिक) श्री अनुराग उपाध्याय, मुख्य महाप्रबंधक (परियोजनाएं) श्री उमेश भारद्वाज, मुख्य महाप्रबंधक (कोक ओवन एवं कोल केमिकल विभाग) श्री तुलाराम बेहेरा, मुख्य महाप्रबंधक (सीईटी भिलाई उपकेंद्र) श्री प्रणय कुमार, मुख्य महाप्रबंधक (परियोजनाएं) श्री मानस कुमार गुप्ता तथा संयंत्र के अन्य अधिकारी एवं यूक्रेन की फर्म मेसर्स सीयूआई के विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।
चिमनी-7 के भीतर मरम्मत एवं रिफ्रैक्टरी कार्य का निष्पादन भिलाई की प्रतिष्ठित फर्म मेसर्स बीईसी द्वारा मेसर्स सीयूआई, यूक्रेन के तकनीकी पर्यवेक्षण में किया गया। इस संपूर्ण परियोजना का कुशल संचालन परियोजना प्रबंधक के रूप में महाप्रबंधक प्रभारी (परियोजनाएं-कोक, एसपी एवं ओएचपी) श्री अरविंद गुप्ता तथा प्रमुख चालक के रूप में महाप्रबंधक (कोक ओवन एवं कोल केमिकल विभाग) श्री ओ.पी. भट्ट के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।
चिमनी-7 के प्रज्वलन हेतु की गई तैयारियों में बैटरी डेक के सूक्ष्म पुनर्निर्माण का महत्वपूर्ण योगदान रहा। विस्तृत माइक्रो-प्लानिंग के तहत महत्वपूर्ण गतिविधियों की पहचान की गई और आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति की दैनिक निगरानी सुनिश्चित की गई। संयंत्र के कोक ओवन एवं कोल केमिकल विभाग तथा इलेक्ट्रिकल मेंटेनेंस विभाग द्वारा इस परियोजना की सफलता में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया गया।
संपदा न्यायालय के आदेश पर तीन लाइसेंसी आवासों से अवैध कब्जाधारियों को किया गया बेदखल : लाइसेंसी आवास जो खाली करवाये गए- ए. मनीषा, शिवलाल ठाकुर और सरस्वती कहार
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के नगर सेवाएँ विभाग के प्रवर्तन अनुभाग द्वारा सेक्टर-4 में तीन लाइसेंसी आवासों से अवैध कब्जाधारियों को संपदा न्यायालय के आदेश पर बेदखल कर आबंटी आवासधारक तथा रखरखाव कार्यालय को सुपुर्द किया गया। सेक्टर-4 स्थित 9ई/26/4 आवास को लाइसेंस पर श्रीमती ए मनीषा को, 11एच/26/04 आवास को श्री षिवलाल ठाकुर को तथा 11 एफ/26/04 आवास को श्रीमती सरस्वती कहार को आबंटित किया गया था, जिन पर अवैध कब्जा कर रहने वाले कब्जाधारियों के विरूद्ध प्रवर्तन अनुभाग की टीम ने कार्यवाही करते हुए खाली कराया।
उल्लेखनीय है कि भिलाई इस्पात संयंत्र की संपत्ति पर कब्जा करने वाले भू-माफियाओं, अवैध कब्जाधारियों, अवैध रिटेंशनधारियों तथा अनफिट आवासों पर से कब्जाधारियों की बेदखली कार्यवाही नगर सेवाएं विभाग के प्रवर्तन अनुभाग की टीम द्वारा पीएचडी विभाग, जिला पुलिस बल, कोतवाली थाना, पुलिस बल, जनसंपर्क विभाग, विद्युत विभाग, सिविल विभाग, संपदा न्यायालय के कर्मचारी तथा प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड के सहयोग से वृहद पैमाने पर जारी है। इन अवैध कब्जेधारियों, भू माफियाओं और दलालों के विरुद्ध बीएसपी प्रबंधन द्वारा आवश्यकतानुसार वैधानिक कार्यवाही भी की जा रही है।
भिलाई इस्पात सयंत्र के नगर सेवाएँ विभाग के प्रवर्तन अनुभाग द्वारा द्वारा अवैध कब्जेधारिओ, भू माफियायों के विरुद्ध वर्ष 2024-2025 में रिकॉर्ड कार्यवाही की गयी हैl गत वित्त वर्ष में कुल 784 बीएसपी क़्वाटर अवैध कब्जेधारिओ से खाली करवाया गया है, साथ ही विद्युत् विच्छेद भी किया गयाl माननीय सम्पदा न्यायलय के द्वारा अवैध कब्जेधारियों के विरुद्ध पारित 323 (तीन सो तेईस) डिक्री आदेश का कार्यपालक मजिस्ट्रेट और पुलिस बल के उपस्थिति में क्रियान्वयन किया गया जो कि अब तक का सर्वाधिक रिकॉर्ड हैl
लगभग दो एकड़ बीएसपी भूमि को अवैध कब्जेधारिओ और भू माफियायों से खाली करवाया गया, 660 अनफिट घोषित बीएसपी आवास जिसमें अवैध कब्जेधारिओ द्वारा कब्ज़ा कर बिजली-पानी का उपयोग किया जा रहा था, खाली करवाकर विद्युत् कनेक्शन विच्छेद किया गया तथा आंशिक रूप से धवस्त किया गया ताकि अवैध कब्जेधारी इन आवासो में पूंन: ना घुसे l लगभग 500 से अधिक अवैध स्ट्रक्चर तोड़े गए, साथ ही ठेले माफियाओं के विरुद्ध कार्यवाही करते हुए लगभग 225 से अधिक अवैध ठेलो को जप्त किया गयाl लगभग 6620 अवैध बैनर, पोस्टर, होर्डिग्स टाउनशिप के मुख्य तथा अन्य मार्गो से हटाया गयाl लगभग 280 आवारा मावेशी को सयंत्र के भीतर तथा टाउनशिप से पकड़ कर भिलाई नगर पालिका निगम द्वारा संचालित गौठान भेजा गयाl यातायात पुलिस के साथ मिलकर सयुंक्त रूप रोड किनारे अवैध रूप से व्यवसाय करने वालो के विरुद्ध सडक दुर्घटना रोकने हेतु निरंतर अभियान चलाया गयाl
प्रवर्तन अनुभाग द्वारा आगे भी संयंत्र के आवासों में निवासरत अवैध कब्जाधारियों के विरूध्द निरन्तर बेदखली की कार्यवाही जारी रहेगी। भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन अवैध कब्जा कर निवासरत सभी अवैध कब्जेधारियों को निर्देशित करती है कि अगर वें कार्यवाही से बचना चाहते हैं तो तत्काल अपने आवास को स्वतः रिक्त कर देंवे, अन्यथा उन पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी तथा सभी आबंटी आवासी और लीजधारक समय पर अपने सभी अन्य शुल्कों का भुगतान कर अव्यवस्था से बचें और प्रक्रियानुसार संयंत्र की संपत्ति का उपयोग करें।
एवरेस्ट की छाँव में : पर्यावरण चेतना और संगठनात्मक संकल्प की एक साहसिक यात्रा
किसी भी संस्था की प्रतिष्ठा केवल उसकी उत्पादन क्षमता या व्यावसायिक प्रदर्शन से नहीं मापी जाती, बल्कि उस संस्था के कर्मियों की सामाजिक चेतना, पर्यावरणीय जिम्मेदारी और साहसिक दृष्टिकोण से भी आँकी जाती है। भिलाई इस्पात संयंत्र कर्मियों के एक छोटे से दल के द्वारा की गई एवरेस्ट बेस कैंप की 23 दिवसीय यात्रा इसका सशक्त उदाहरण है। यह यात्रा एक व्यक्तिगत रोमांच मात्र नहीं थी, अपितु यह संगठनात्मक उद्देश्य, पर्यावरणीय संदेश और अंतरराष्ट्रीय संवाद का एक जीवंत संकल्प बन गई।
यह अभियान 30 मार्च 2025 को भिलाई से आरंभ हुआ, जब सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों का एक छोटा सा दल जिसमें संयंत्र के मानव संसाधन – नियमन अनुभाग के श्री पवन कुमार शर्मा, युनिवर्सल रेल मिल के श्री देवेंद्र कुमार सिंह, व उनके साथ संयंत्र के स्टील मेल्टिंग शॉप-1 के सेवा निवृत्त-कर्मी श्री एन.के. सिंह एवं उनके पुत्र श्री अभिजीत सिंह एवरेस्ट बेस कैंप के लिए रवाना हुए। संयंत्र प्रबंधन द्वारा इस यात्रा को प्रोत्साहन देते हुए विशेष अवकाश प्रदान किया गया तथा पर्यावरण विभाग द्वारा पर्यावरणीय संदेशों से युक्त विशेष बैग दिए गए, जिन्हें यात्रा मार्ग में वितरण हेतु प्रयोग किया गया। इन बैगों पर वृक्षारोपण, जल संरक्षण, और हरित परिवेश जैसे विषयों पर सशक्त संदेश मुद्रित थे, जो यात्रियों को ‘कंपनी के दूत’ की भूमिका में परिवर्तित कर रहे थे।
यह रोमांचक पर्वतारोहण अभियान दुर्ग रेलवे स्टेशन से आरंभ हुआ, जहाँ यूथ हॉस्टल एसोसिएशन ऑफ इंडिया की छत्तीसगढ़ इकाई के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने दल को शुभकामनाएँ देते हुए विदा किया। भारतीय रेल से दल रक्सौल पहुँचा, जो नेपाल की सीमा के समीप स्थित भारत का अंतिम रेलवे स्टेशन है। वहाँ से काठमांडू की सड़क यात्रा, फिर रामेछाप एयरपोर्ट होते हुए लुकला पहुँचने का प्रयास, एक जटिल और समयसाध्य प्रक्रिया रही।
लुकला की सीधी फ्लाइट न मिलने के कारण दल को फोपलू एयरपोर्ट तक वैकल्पिक मार्ग से जाना पड़ा। वहाँ से लगभग आठ घंटे की थका देने वाली कठिन पहाड़ी सड़क यात्रा के उपरांत सुरके नामक एक स्थान पर पहुँचना संभव हुआ। इस दौरान पहाड़ी पथरीले मार्ग, बर्फीली हवाएँ और सीमित सुविधाओं ने यात्रा को अत्यंत चुनौतीपूर्ण बना दिया। दल के सदस्यों को पहाड़ों की कठोरता के साथ-साथ मानव मन की दृढ़ता का भी परिचय इस यात्रा के दौरान प्राप्त हुआ।
यात्रा के आगे के चरणों में फकडींग, नामचे बाजार, टेंगबोचे, डिंगबोचे, लोबुचे होते हुए गोरकशेप तक पदयात्रा की गई। प्रत्येक चरण पर बढ़ती ऊँचाई और कम होती ऑक्सीजन का प्रभाव स्पष्ट रूप से महसूस किया गया। विशेषकर जब एक सदस्य को हाई अल्टीट्यूड सिकनेस के प्रारंभिक लक्षण जैसे चक्कर और उल्टी का सामना करना पड़ा, तब पूर्व तैयारियों और तीन माह की नियमित अभ्यास की उपयोगिता सिद्ध हुई। अधिक पानी पीने और विश्राम से समस्या नियंत्रित हुई, और टीम बिना दवा के ही आगे बढ़ सकी।
इस समस्त यात्रा में भोजन की सीमाएं भी एक यथार्थ थीं। ऊँचाई के साथ खाद्य पदार्थों का मूल्य दोगुना से लेकर दस गुना तक बढ़ गया। दाल-भात, सब्जी और अचार जैसे साधारण भोजन ही उपलब्ध थे, परंतु टीम ने हर परिस्थिति में संतुलन बनाए रखा।
नामचे बाजार पर विश्राम की सलाह को दल ने अपनी शारीरिक स्थिति का आकलन कर पार करते हुए अगले पड़ाव की ओर कूच किया। टेंगबोचे से डिंगबोचे और फिर लोबुचे तक की यात्रा सुगठित रही। गोरकशेप में विश्राम के बाद जब अंततः बेस कैंप की ओर प्रस्थान हुआ, तो मन में उत्साह और श्रद्धा का संगम था। जैसे ही एवरेस्ट बेस कैंप के दर्शन हुए, वह क्षण दल के लिए भावनात्मक और गौरवमयी बन गया। वहाँ तिरंगा फहराकर सभी ने अपने परिवार, संस्थान और देश को स्मरण किया।
इस अभियान में एक उल्लेखनीय पहलु यह रहा कि दल द्वारा वितरित पर्यावरणीय बैगों ने विभिन्न देशों से आए पर्यटकों के बीच संवाद का माध्यम बनाया। विशेष रूप से पश्चिमी देशों के पर्यटकों ने भिलाई इस्पात संयंत्र, उसके कार्य और पर्यावरणीय दृष्टिकोण में गहरी रुचि दिखाई। नेपाली नागरिकों से संवाद के दौरान जब यह बताया गया कि सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र रेल बनाती है, तो लगभग सभी का भावपूर्ण अनुरोध था कि नेपाल में भी रेल सेवा भारत की सहायता से आरंभ हो। यह एक सामान्य बातचीत नहीं, बल्कि क्षेत्रीय सहयोग और सामाजिक अपेक्षा का प्रतिबिंब थी।
30 मार्च 2025 को भिलाई से आरंभ यह यात्रा अंततः 21 अप्रैल 2025 को सम्पन्न हुई, कुल 23 दिनों में तय की गई यह साहसिक यात्रा न केवल शारीरिक क्षमता की कसौटी थी, बल्कि यह एक संस्थान की विचारधारा, सामूहिकता और उत्तरदायित्व का परिचायक बनी। भिलाई वापसी के उपरांत, सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के कार्यपालक निदेशक (मानव संसाधन) श्री पवन कुमार तथा मुख्य महाप्रबंधक (मानव संसाधन) श्री संदीप माथुर द्वारा दल को कार्यालय में आमंत्रित कर व्यक्तिगत रूप से बधाई देना, यह दर्शाता है कि संगठन अपने कर्मियों के प्रयासों को केवल मान्यता ही नहीं देता, बल्कि उन्हें प्रेरणा में भी परिवर्तित करता है।
सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों के दल की यह एवरेस्ट यात्रा सिखाती है कि यदि संस्था अपने कर्मियों को नवाचार, सामाजिक उत्तरदायित्व और आंतरिक प्रेरणा के लिए प्रोत्साहित करे, तो वे किसी भी शिखर तक पहुँच सकते हैं। यह केवल एक पर्वतीय यात्रा नहीं, बल्कि पर्यावरणीय चेतना, संस्थागत गौरव और मानवीय संवाद की यात्रा थी एक ऐसा अभियान, जो आने वाले वर्षों तक प्रेरणा देता रहेगा।
chhattisgarhaaspaas
विज्ञापन (Advertisement)



ब्रेकिंग न्यूज़
कविता
कहानी
लेख
राजनीति न्यूज़