विशेष लेख

4 years ago
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●लाइक मन के छेर छेरा के अब्बड़ साथ
-खुमान सिंह जांगड़े

पौष महीना के पूर्णिमा के दिन छत्तीसगढ़ मा लइका पिचका संग सियान मन घलो छेर छेरा तिहार ला अब्बड़ खुशी होके मनाथे जम्मो किसान ये दिन ला जोहत रहिथे अउ लइका मन हा बड़े फजर ले झोला धरथे अऊ कूदत भागत अपन संगी संगवारी मन ला अगोरत रहिथे अऊ कते मोहल्ला मा पहली जाबोन कहिके एक दूसर ला झगरा मताय कस करत रहिथे अऊ पारा मोहल्ला मा आवाज हा गुंजत रहिथें छेरी के छेरा माई कोठी के धान ला हेरी के हेरा धान मांगे के बेरा अपन घर ले अपन झोला मा एक मुठा धान धरके दूसरा घर मे जाय के परम्परा हावय जेन समय बाजा गाजा मा बजनिया मन गाडा बाजा अऊ मोहरी के मधुर के धुन मा लोगन मन मात जाथे अऊ दान ला घलोक दबा के देथे संग मा पंथी के मांदर के थाप हा अंतस ला छू के चोला हा तर जाथे जम्मो किसान अपन अच्छा फसल होय के खुसी मा बोरा बोरा धान दान करथे

पूरा भारत देश के जम्मो राज्य हा जानत हावय के छत्तीसगढ़ हा धान के कटोरा आय यहाँ के लोक संस्कृति अउ परम्परा हा समृद्ध हावय अउ परम्परा के नाम हा छेर छेरा आय दान देके परम्परा हावय

छोटे से छोटे मजदूर मन हा सामने आके त्योहार ला मनाय बर बिककट दान करथे जेकर से लोगन मन के दान करे के प्रेरणा हा घलो बिकट मजबूत हाथे

अइसन दान करें के परम्परा म छत्तीसगढ़ हा भारत देश के पहिली राज्य हरे जिहा पूरा छत्तीसगढ़ के हर गाँव अउ हर घर दान करथें

लइका मन हा बड़े फजर ले उठ के स्नान कर लेथे पूरा गांव मा छेर छेरा मांगें के बाद जातिक धान झोला म रहिथें वोला अपन तीर तिखार के दुकान म जाके बेच देथे जाऊन भी पइसा मिलथे ओखर कापी, पेन,भौरा ,बाटी ,खाऊ खजाना लेथे जम्मो लइका खुश रहिथे अउ लइका मन ला देख के सियान मन खुश रहिथे पूरा गांव के साथ साथ पूरा छत्तीसगढ़ मा उत्साह देखे ला मिलथे ये परम्परा अउ तिहार हा देश के साथ साथ विदेश मा घलोक अपन छाप छोड़े हे जय जवान जय किसान|

 

【. लेखक खुमान सिंह जांगड़े,देमार पाटन, जिला-दुर्ग के निवासी हैं. ‘छत्तीसगढ़ आसपास’,वेबसाइट वेब पोर्टल के लिए उनकी ये पहली रचना हमें मिली,जिसे हम स-सम्मान प्रकाशित कर रहे हैं. ●संपादक 】
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