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सिनेमा आसपास
●आज़ कवि प्रदीप के जन्मदिन पर विशेष
●दिल को छू लेने वाले गीतकार थे-कवि प्रदीप
●’ऐ मेरे वतन के लोगों जरा याद करो कुर्बानी…’कवि प्रदीप जी द्वारा रचित अमर गीत
●कवि प्रदीप जी का असली नाम ‘रामचंद्र नारायण जी द्विवेदी’ था
●कवि प्रदीप का जन्म 6 फ़रवरी 1915 को मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर के बड़नगर में हुआ था
-जयदेब गुप्ता मनोज़
[ धनबाद,झारखंड ]
कवि प्रदीप जी का आते ही जेहन मे कई खुबसूरत गीतोकी झलक कान मे गूंजने लगती है।
देशभक्ति ओर हमेशा समाज तमाचा मारने वाले गीतकार प्रदीप कभी भी हालात के साथ समझोता नही किया ओर लिखते गए।
प्रदीप जी द्वारा रचित अमर गीत __एै मेरे बतन के लोगो जरा याद करो कुर्बानी,,,,,,,,,, इस गीत को *26 जनवरी 1963 दिल्ली के रामलीला मैदान से सीधा प्रसारण किया गया था।उस समय इस गीत के गायिका *लता मंगेशकर जी ,पंडित जवाहर लाल नेहरु (प्रथम प्रधानमंत्री)स्व, राजेंद्र प्रसाद(प्रथम राष्टपति) सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
आईये इस गीत के पीछे के कुछ बातो पर चर्चा की जाए।1962 मे प्रदीप ने भारत _चीन युद्ध के दौरान शहीद हूए लोगोके लिए लिखा था और प्रदीप जी चाहते थे इस देश भक्ती गीत को लता मंगेशकर जी से गंवाया जाए,लेकिन इस गीत के संगीतकार स्व,सी, रामचंद्र जी चाहते थे इस गीत को आशा भोसले जीसे गंवाया जाए।
जबकि लता जी भी यही चाहती थी कयोकि उस समय लता जी ओर सी,रामचंद्र के बीच अनबन चल रही थी।बादमे इस गीतको कोकिला कंठी भारत रत्न लता मंगेशकरने अपने मधुर स्वर मे गाकर हमेशा के लिए अमर कर दिया।इस गीत के जितने भी राजस्व मिले थे सभी बिधवा कोष मे जमा करने की अपील की गई थी।
2005 मे मुम्बई उच्चन्यायालय ने रिकार्ड कम्पनी एच,एम,वी, को इस कोष मे अग्रीम रूप से 10 लाख रूपये देने का आदेश दिया था।
मध्य प्रदेश के उज्जेन शहर के बडनगर मे 6 फरवरी 1915 जन्मे प्रदीप जी का असली नाम रामचन्द्र नारायण जी द्विवेदी था। बचपन में हमेशा अपने दोस्तो के साथ देशभक्ति की बाते करते थे ओर देशभक्ति कविताए सुनाया करते थे।
प्रदीप साहब अपने स्कुल के वार्षिक अधिवेशन मे कविता पाठ करते थे।
अपनी कवितायें के माध्यम से प्रदीप साहब की अलग ही पहचान थी।
इसी तरह 1939 मे लखनऊ विश्व विध्यालय मे आयोजित कवि सम्मेलन मे रामचंद्र नारायण जी द्विवेदी ने भी कविता पाठ किया।
उस कवि सम्मेलन में बाम्बे स्थित बाम्बे टॉकिज(अभी मुम्बई)
मे काम करनेवाले एक सज्जन श्रोता के रूप मे उपस्थित थे।
उन्होंने रामचंद्र के पास जाकर फिल्मोमे कविताए लिखने का सुझाव दिया।बादमे उसी सज्जन ने बाम्बे टॉकिज के मालिक हिमांशु रायसे मुलाकात करवाया कुछ कविताए सुनने के बाद हिमांशु साहब ने 200 रूपये महिनाके बेतन पर नौकरी पर रख लिया ओर सुझाव दिया तुम्हारा नाम बहुत बडा है अपना नाम बदल कर प्रदीपरख लो जबकि उस समय मशहूर अभिनेता प्रदीप कुमार काफी लोकप्रिय ओर चर्चित थे फिर प्रदीप जी अपने नाम के आगे कवि लगा लिया इस तरह कवि प्रदीप का जन्म हुआ।
1940 मे हिमांशु राय की फिल्म _वचन मे गीत लिखने का मौका मिला।
देश भक्त कवि थे ओर पहलीबार ही हिमांशु साहब के फिल्म के लिए *_चल चल रे नौजवान,, गीत लिख डाला।
आपको जानकर आशचर्य होगा कि इस गीत के कोरस मे *गजल सम्राट् मशहूर संगीतकार स्व मदन मोहन जी ओर हरफन मौला कलाकार किशोर कुमार गायक व नायक स्व,किशोर कुमार ने अपनी आवाज दी थी।उसके बाद कई फिल्मोमे प्रदीप जी ने गाने लिखे लेकिन उनके किस्मत ली करवट ली सन 1943 मे।
ज्ञान मुखर्जी निर्देशित ओर अनिल विश्वास संगीत निर्देशन मे फिल्मकिस्मतमे__आज हिमालय की चोटी से फिर हमने ललकारा है,दूर हटो दूर हटो ओ दुनियावालो हिन्दुस्तान हमारा है,,गीत लिखने के बाद प्रदीप जी कभी पीछे मुडकर नही देखा।
इसके बाद तो कवि प्रदीप जी ने अपनी कलम से एक से बढकर एक गीत लिखे जो आज अमर गीत बन गए है, आईए सुनते है
सबसे पहले लता जी की जादूई आवाज ,संगीत से सजाया था संगीतकार* सी,रामचंद्र* ओर गीत लिखे थे कवि प्रदीप जी ने ओर गीते बोल___एै मेरे वतन के लोगो जरा याद करो कुर्वानी,,,,,,
फिल्मपैगाम मे मन्ना डे साहब के आवाज मे अमर गीत_इंसान का इंसान से हो भाईचारा यही पैगाम हमारा,,,,,,,,,
फिल्मस्कुल मास्टरके अमर गीत_ओ दिलदार बोलो एकबार,,,,,,,,
फिल्मबंधनमे __चल अकेला चल अकेला,,,,,मुकेश साहब का गाया हुआ अमर गीत,,
फिल्म_झुलामे _मेरे बिछडे हूए साथी,,,,,,,,,,,,
कवि प्रदीपद्वारा गाया गया कुछ विशेष गीत*
मुखड़ा देखले प्राणी जरा दर्पण मे,,,,,,,,,फिल्मदो बहन,
देख तेरे संसार की हालत कया हो गया भगवान कितना बदल गया इंसान,,,,,,,फिल्म_नास्तीक*
फिल्मचण्डीपुजामे_कोई लाख करे चतुराई,,,,,,,,,,
फिल्म_दशहरामे__ दूसरे के दूखरा दूर करनेवाले तेरा दूख करेगा राम,,,,,,,,,
आज भी लोगोके होंठोपे गुनगुनाते हूए सुनने को मिलते है।
बहुत वर्ष बाद 1975 मे फिल्मजय संतोषी मॉ कवि प्रदीप द्वारा रचित कुछ अच्छे गीत सुनने को मिला था।
पॉच दशक मे प्रदीप जी लगभग *71 फिल्मोमे 1700 सौ गीत लिखे है।
प्रदीप जी के हिन्दी सिनेमा शानदार योगदान के लिए सन 1998 मे दादा साहेब फालकेपुरस्कार से सम्मानित किया गया था ओर उसी वर्ष 1998 मे ही उनका निधन हो
गया।
आज 6 फरवरी उनके जन्मदिवस पर उनके द्वारा रचित गीत__देख तेरे संसार की हालत कया हो गया भगवान कितना बदल गया इंसान,,,,,,,,गुनगुनाते हूए उन्हे शद्धांजलि देते है।
[ ●लेखक जयदेब गुप्ता मनोज़ ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के ‘झारखंड हेड’ हैं ●फीचर आर्टिकल के रूप में जयदेब गुप्ता मनोज़,देश के तमाम अखबारों में लिखते रहते हैं. ●’छत्तीसगढ़ आसपास’, उनकी ये पहली फीचर लेख है, पड़कर प्रतिक्रिया से अवगत करायें. -संपादक ]
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