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- छत्तीसगढ़ बॉयलर फार्म्स एशोसिएशन ने कोरोना महामारी में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, मुख्यमंत्री, कृषिमंत्री व जिले के कलेक्टर को ज्ञापन भेजकर ‘प्रोटीन’ की ख़ुराक़ बॉयलर बेचने की अनुमति मांगी.
छत्तीसगढ़ बॉयलर फार्म्स एशोसिएशन ने कोरोना महामारी में रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, मुख्यमंत्री, कृषिमंत्री व जिले के कलेक्टर को ज्ञापन भेजकर ‘प्रोटीन’ की ख़ुराक़ बॉयलर बेचने की अनुमति मांगी.
छत्तीसगढ़ । छत्तीसगढ़ ब्रायलर फार्मर्स एसोसिएशन ने कोरोना महामारी के दौर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने प्रोटीन की खुराक के तौर पर ब्रायलर मुर्गा विक्रय करने की अनुमति छत्तीसगढ़ सरकार से मांगी है। इस संबंध में एसोसिएशन की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे व जिले के सभी कलेक्टर को विस्तृत ज्ञापन भेजा गया है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष एम. आसीम बेग ने ज्ञापन में बताया कि इस महामारी के दौर में मरीजों को प्रोटीन के रूप में अंडा उपलब्ध कराया जा रहा है और डॉक्टर भी चिकन सूप का सेवन करने की सलाह दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में पिछले छह अप्रैल से चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन घोषित हुआ और इसी के साथ सारे कारोबार बंद हो गए हैं।
चूंकि लॉक डाउन 10 दिनों का था तो ब्रायलर मुर्गों को दाना खिलाकर खुलने वाले लॉक डाउन में बेचने की तैयारी थी लेकिन अब लॉकडाउन बढ़ जाने से दाना खिलाने में भी दिक्कत हो रही है। उन्होंने बताया कि ब्रायलर मुर्गों को चेन सिस्टम में पाला जाता है और जो पहली खेप तैयार होती है उन्हे बेचना जरूरी हो जाता है, जिससे मुर्गों की दूसरी खेप तैयार की जा सके। अगर इन्हें जल्दी हटाया नहीं गया तो मुर्गे मरने लगेंगे और भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। इसलिए ब्रायलर मुर्गों की बिक्री को रोकना ब्रायलर उत्पादक किसानों के लिए नुकसानदायक है और इस ओर ध्यान देना अतिआवश्यक है।
एसोसिएशन की ओर से आसीम बेग ने कहा कि छत्तीसगढ़ में ब्रायलर मुर्गे का सेवन सर्वाधिक होता है और इसे आवश्यक वस्तु की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। जनता को इस महामरी में प्रोटीन के तौर पर अंडा और मांसाहार की बेहद जरूरत है। राज्य सरकार इसे जनता को उपलब्ध करा कर ब्रायलर उत्पादक किसानों का नुकसान रोक सकती है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह सब्जी, फल व दूध बेचने समय निर्धारित किया गया है, ऐसा ही कुछ समय मुर्गा व्यवसायियों को भी दिया जाए या फिर घर पहुंच सेवा का अवसर दिया जाए। जिससे कि मुर्गा उत्पादक बड़े नुकसान से बच सकें।
उन्होंने मुख्यमंत्री, कृषिमंत्री और समस्त कलेक्टरों से कहा है कि सभी ब्रायलर मुर्गा उत्पादकों को किसान के तौर पर देखा जाए और इन दिनों हो रहे नुकसान से बचाया जाए। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में ब्रायलर मुर्गों में कोरोना वायरस की गलत अफवाह की वजह से उत्पादकों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा था। फिर एक बार ब्रायलर उत्पादकों पर संकट की स्थिति है। ऐसे में राज्य सरकार से एसोसिएशन ने निवेदन किया है कि उन्हें ब्रायलर विक्रय की अनुमति दी जाए। जिससे कोरोना महामारी के दौर में लोगों को प्रोटीन की खुराक मिल सके।
[ ●समाचार डेस्क,’छत्तीसगढ़ आसपास’. ●प्रिंट एवं वेबसाइट वेब पोर्टल, न्यूज़ ग्रुप समूह,रायपुर,छत्तीसगढ़. ]
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