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■आज़ विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष : •वृक्षारोपण व पर्यावरण से फायदे – •अमिताभ भट्टाचार्य
■स्वछता ब्रांड एम्बेसडर, अमिताभ भट्टाचार्य ने ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ को बताया.
●भिलाई । सन 1987 के आस पास उनके पिता राधिका नगर,सुपेला ,भिलाई ,जिला -दुर्ग ,छ ग में साडा(अभी वर्तमान में नगर पालिका निगम ) से एक प्लाट खरीदे थे, उस समय उनकी उम्र मात्र 21 वर्ष की थी !
उस समय मुश्किल से 2 या 4 लोगो ने ही यहां प्लाट लिया था ,व राधिका नगर में दूर दूर तक सुनसान मैदान ही मैदान दिखा करता था !
उन्होंने बताया कि कुछ दिनों बाद हमारे घर का निर्माण आरम्भ हुआ ,व देखते ही देखते कुछ और लोगो ने घरों के निर्माण का कार्य आरम्भ कर दिया ! पर यँहा निर्माण व लोगो की बसने कि व अन्य जगहों से यँहा आने कि गति इस वजह से कम थी ,क्योकि यँहा उस समय से ही बिलकुल मुख्य रोड पर पशुवध गृह (स्लाटर हाउज़)होने व बकरियों की मंडी लगने से लोग इस जगह में घर बनाने से हिचकते थे ,तथा मैदान होने कि वजह से नजदीकी बस्तियों से आकर लोग सौच पर भी इधर उधर बैठ जाया करते थे ,यह सब लोगो को नापसंद था !
परन्तु जैसे जैसे समय बितते गया ,यँहा की विकास समिति के जुझारू लोगो के पहल से कई अच्छे कार्य होते गये व राधिका नगर आज पूरी तरह से बस चुका है !
उन्होंने बताया कि सन 1988 -89 में पिताजी व उनके मित्रो ने मिलकर बीच राधिका नगर से वृक्षारोपण का अभियान आरम्भ करते हुये पीपल व वट वृक्ष व अन्य पौध से पौधारोपण आरम्भ किया ! व साथ ही साथ उनका संरक्षण ईंटो से घेरा बनाकर आरम्भ किया ,जो बेहद जरूरी था !
धीरे धीरे वह वट वृक्ष वृहद रूप धारण कर लिया व आज उस वट वृक्ष के विशालकाय आकार व छाये के नीचे मंदिर भी है ,बच्चो के खेल कूद की व्यवस्था के साथ साथ बुजुर्गों व अन्य लोगो की बैठने व व्यायाम करने की व्यवस्था भी है !और तो और राधिका नगर व आस पास की महिलाये वट वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना भी किया करती है !
और साथ ही साथ यह विशाल जटा धारी वट वृक्ष पूरे वातावरण को शुद्ध ऑक्सीजन भी प्रदाय कर अपना कर्तव्य बखूबी निभा रहा है !
इनके अलावा राधिका नगर कि एक जुझारू महिला मीनू विश्वास ने व हम साथ साथ है ग्रुप के सदस्यों ने भी लगातार वृक्षारोपण पर कार्य कर ,कालोनी को खूब हरा भरा बना दिया ! इन सभी ने वृक्षारोपण करने के साथ साथ इसका संरक्षण का भी वृहद अभियान विगत कई वर्षों में किया है !
तो है ना उपरोक्त अच्छी बात !
अब दूसरा वाकया बताते हुये उन्होंने कहा कि तकरीबन सन 2000 के आस पास का है जब उनकी माता श्री ने उनके घर के बागीचे में अपने नाम का एक आम का पौध , रोपित करते हुये ,उनसे कहा भी था ,कि मैं रहूं या ना रहूं यह आम का पेड़ बड़ा हो ,खूब फल देगा व उस समय उस फल को खाकर आप सब मुझे याद करोगे !
आज तकरीबन 21 साल बाद यह आम का पेड़ शुद्ध आक्सीजन के साथ साथ जबरदस्त मीठे व सुगन्धित आम भरपूर मात्रा में दे रहे है !आम इतने हो रहे है कि वे आस पास के लोगो ,पड़ोसियों व रिस्तेदारो को आम देते व बाटते फिर रहे है फिर भी आम का यह पेड़ रोजाना फल दिये ही जा रहा है वो भी निस्वार्थ !
अभी कुछ वर्ष हुये , उनकी पिताजी व माताजी का स्वर्गवास हो गया है ,परन्तु आज उस वट वृक्ष को देख कर व उसकी छाया में बैठकर वे सब पिताश्री व अन्य लोगो को याद करते है और इस आम के पेड़ से होने वाले आमो को खाते व बाटते हुये माता श्री को याद करते है !
उन्होंने कहा कि इन उपरोक्त बातों से हमे यह सीख मिलती है कि हमे ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण करना चाहिये ,जिससे आने वाले समय में और पीढ़ी दर पीढ़ी लोगो को शुद्ध आक्सीजन ,छाव ,शुद्ध वातावरण के साथ साथ इसका फल भी मिलता रहे, वह भी बिना किसी स्वार्थ के !
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