■भिलाई-दुर्ग आसपास ख़बर : स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको-भिलाई के हिंदी विभाग द्वारा मुंशी प्रेमचंद जयंती का आयोजन.
स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय में हिन्दी विभाग एवं कला संकाय के संयुक्त तत्वावधान में प्रेमचंद जयंती के अवसर पर मुंशी प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों पर आधारित पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए डॉ सुनीता वर्मा विभागाध्यक्ष हिंदी ने कहा प्रेमचंद ने बड़े ही सरल, स्वाभाविक ढंग से पात्रों के माध्यम से अपनी बातें रखीं हैं, जो सीधे-सीधे हमारे दिल में उतर जाती है, हमारा उनका दिल से रिश्ता बन जाता है। प्रेमचंद साहित्य हमेशा प्रासंगिक रहेगा जब तक समाज रहेगा अमीर और गरीब रहेंगे, ईदगाह का हामिद रहेगा, ईमानदार और बेईमान रहेंगे, ‘नमक का दारोगा’ के ईमानदार वंशीधर अब भी मिल जाएंगे, बेमेल विवाह का दर्द झेल रही ‘निर्मला’ आज भी मौजूद है। खाना को तरसती ‘बूढ़ी काकी’ आज घर-घर में मिल जाएंगी। ये सभी पात्र मुंशी प्रेमचंद को कालजई साहित्यकार बनाते हैं।
महाविद्यालय के मुख्य कार्य कारिणी अधिकारी डॉ दीपक शर्मा ने महाविद्यालय के हिंदी विभाग को बधाई देते हुए अपने संदेश में कहा प्रेमचन्द साहित्य में ऋण ग्रस्त किसान के प्रति गहरी संवेदनाव्यक्त हुई है। वे महसूस करते हैं कि सूदखोरों के चंगुल से किसान को बचाने के लिए सरकार को उन्हें ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी होगी। “ऐसे साधन भी होने चाहिए, जिनसे किसानों को थोड़े सूद पर रूपये मिल सके। इसके लिए कृषि सहायक बैंक खोले जाने चाहिए।” इसके अलावा वे लघुव कुटीर उद्योगों की आवश्यकता पर भी बल देते हैं, जिससे किसान अपने खाली समय मैं अतिरिक्त पैसा कमा सके और मुंशी प्रेमचंद ने किसानों की समस्याओं को प्रत्यक्ष देखा अनुभव कि या वहीं उनके साहित्य में अभिव्यक्त हुआ।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ श्रीमती हंसा शुक्ला ने बताया प्रेमचंद ने किसान को अपने उपन्यासों और कहानियों का मुख्य विषय बनाया। उनके पहले तथा उनके बाद किसी भी रचनाकार ने इतने विस्तार से किसान को आधार बनाकर हिंदी में साहित्य-सृजन नहीं कि या उनका ‘प्रेमाश्रम’ हिन्दी का पहला उपन्यास है, जिसमें किसानों के संघर्ष व समस्याओं की व्यापक अभिव्यक्ति हुई है। इसके पश्चात् ‘कर्मभूमि’ ‘गोदान’ जैसे उपन्यासों और ‘कफन’, ‘पूस की रात’, ‘सवासेर गेहूँ’ तथा ‘मुक्ति मार्ग’ जैसी कहानियाँ विशुद्ध किसानी जीवन पर केन्द्रित हैं।
विद्यार्थियों ने मुंशी प्रेमचंद की कहानियां उपन्यासों पर आधारित बहुत सुंदर पोस्टर बनाएं जिससे विद्यार्थियों की अभि रुचि एवं रचनात्मक क्षमता का पता चलता है आज भी मीडिया के प्रभाव से प्रेमचंद का साहित्य अछूता है प्रेमचंद का साहित्य आज भी युवाओं द्वारा पढ़े जाते हैं। प्रेमचंद का साहित्य किसानों के समस्याओं को अभिव्यक्त करने में सफल हुआ है साथ ही उनके पात्र हमें अपने आस पास ही दिखाई पड़ते हैं उनके पात्रों की स्वभाविकता ही प्रेमचंद के साहित्य की सफलता है। विद्यार्थियों ने उनकी कहानी वरदान कफन के पात्रों को अपने चित्रकला का आधार बनाया तो कुछ छात्राओं ने मुंशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व व लेखन क्षमता के चित्र उकेरे। विजयी प्रतिभागियों के नाम इस प्रकार है:—
प्रथम –सोनिया जायसवाल बीएससी प्रथम वर्ष, द्वितीय-अनिमेष अधिकारी बीबीए चतुर्थ सेमेस्टर, तृतीय—नीरज यादव बीबीए द्वितीय सेमेस्टर, सांत्वना—01 खुशी साहू बीबीए द्वितीय सेमेस्टर, 02 यशस्वी सिंह बीबीए चतुर्थ सेमेस्टर
कार्यक्रम में निर्णायक के रूप में डॉ. अजीत सजीत विभागाध्यक्ष वाणिज्य एवं सहायक प्राध्यापक मीना मिश्रा विभागाध्यक्ष गणित उपस्थित रहीं।
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