साहित्याचार्य डा.महेशचन्द्र शर्मा, इन्दिरा कला संगीत वि.वि. में संस्कृत विशेषज्ञ मनोनीत.
♀ भिलाई
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भिलाई के वरिष्ठ शिक्षाविद् साहित्याचार्य एवं पूर्व प्राचार्य डा.महेशचन्द्र शर्मा को इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में संस्कृत विषय विशेषज्ञ मनोनीत किया गया है। कुलसचिव से उन्हें प्राप्त सूचना के अनुसार वे ” संस्कृत अध्ययन मण्डल ” के विशेषज्ञ सदस्य होंगे। इस पद पर डा.शर्मा तीन वर्ष के लिये मनोनीत किये गये हैं।साहित्याचार्य डा.शर्मा इसके पहले भी पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर,हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग एवं शासकीय वि.या.ता.स्नातकोत्तर स्वशासी अग्रणी महाविद्यालय दुर्ग में भी संस्कृत अध्ययन मण्डलों के अध्यक्ष और विशेषज्ञ के दायित्वों का कुशल और सफल निर्वहन करचुके हैं।ज्ञातव्य है कि इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ केवल छत्तीसगढ़ या भारत का ही नहीं अपितु एशिया का महत्त्वपूर्ण और विशेष विश्वविद्यालय है।गीत-संगीत,नाटक,नृत्य,गायन , चित्रकलाऔर काव्यकला का यह वैश्विक उच्च शिक्षणसंस्थान है। दुनिया के अनेक देशों के विद्यार्थियों के बीच यह उक्त विषयों के पठन-पाठन और शोध हेतु आकर्षण क केन्द्र है।छत्तीसगढ़ राज्य में इस विश्वविद्यालय को सबसे पहले ” नेक” द्वारा “ए-ग्रेड” दिया गया। ऐसे उच्च शिक्षा संस्थान के विशेषज्ञ के रूप में डा.शर्मा मनोनयन भिलाई के लिये भी गौरव की बात है।देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के सफल शैक्षिक और सांस्कृतिक भ्रमण चुके डा.शर्मा के लेख,आलेख और शोधालेख बड़़ी संख्या मे राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हैं।उनकी दस पुस्तकें भी प्रकाशित हैं।अब खैरागढ़ विश्वविद्यालय को वे अकादमिक सहयोग देंगे। यहाँ नयी शिक्षानीति के अनुरूप स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं के लिये पाठ्यक्रमों पर विचार होगा। ” गीतगोविन्दम् ” और ” रासपंचाध्यायी ” जैसे अनेक संस्कृत ग्रन्थों में नृत्यशास्त्र, संगीतशास्त्र , नाट्यशास्त्र और काव्यशास्त्र की विषयवस्तु भरी पड़ी हैं। इनका लाभ भी विद्यार्थियों को मिलसकेगा।लोककला, लोकसंगीत, साहित्य और भाषा की जानकार पद्मश्री मोक्षदा चन्द्राकर जी विश्वविद्यालय की कुलपति हैं।आकाशवाणी केन्द्र निदेशक के रूप में भी साहित्य और संगीत का उनका सुदीर्घ अनुभव है।इधर डा. शर्मा भी पत्रिका कार्यक्रम ‘विविधा’, संस्कृत रूपकों, नाट्यप्रस्तुतियों,साहित्यिकवार्ता और धर्मग्रन्थों के सस्वर पाठ के माध्यम से रायपुर दूरदर्शन एवं आकाशवाणी केन्द्र से जुड़े रहे हैं। इसका लाभ भी विश्वविद्यालय को मिलेगा । अनेक अलंकरणों और सम्मानों से नवाज़े गये आचार्य शर्मा चार दशकों से अधिक की उच्चशिक्षा सेवा से हाल ही में भलेही सेवानिवृत्त हुये हैं,स्वास्थ्य की भी थोड़ी प्रतिकूलता है , फिर भी इसके कारण स्वाध्याय,अनुसन्धान, लेखन, साहित्यसेवा,शैक्षिक मार्गदर्शन और व्याख्यान आदि में आचार्य डा.शर्मा की सक्रियता और समर्पण में कोई कमी नज़र नहीं आती।
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