श्रद्धांजलि : जनवादी कवि व आलोचक शाकिर अली.
♀ जनवादी लेखक संघ-दुर्ग इकाई ने दी श्रद्धांजलि.
शाकिर अली के निधन पर जनवादी लेखक संघ दुर्ग जिला इकाई ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उल्लेखनीय है कि शाकिर अली छत्तीसगढ़ की लेखक बिरादरी में वे सर्वाधिक लोकप्रिय रहे हैं। लेखकीय दम्भ से परे वे हर व्यक्ति से सहजता से मिलते थे। उनके दो कविता संग्रह नए जनतंत्र में व बस्तर बचा रहेगा तथा एक आलोचना पुस्तक आलोचना का लोकधर्म शीर्षक से प्रकाशित हैं। उनकी कविताएं सामाजिक यथार्थ के करीब अपना रास्ता तलाशती थीं। उनकी आलोचना का मुक़ाम भी इसी के आसपास ठहरता था। प्रगतिशील जनवादी लेखन के साथ साथ,वे एक कुशल संगठनकर्ता भी थे। वे जनवादी लेखक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी थे।
इस शोकसभा में परदेशी राम वर्मा ने कहा कि शाकिर अली ने जीवन भर सैद्धांतिक जीवन जीते हुए प्रेरक लेखन किया। वे मेरे अत्यंत प्रिय मित्र थे। उनसे लगातार जनवादी साहित्य और संगठन पर बात होती रहती थी। विनोद साव ने उन्हें सह्रदय व्यक्ति बताते हुए सबको जोडऩे वाला मिलनसार व्यक्ति माना। राकेश बोम्बार्डे ने कहा कि उनका लेखन हमेशा याद किया जायेगा। नासिर अहमद सिकन्दर ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनके कविता कर्म को व्याख्यायित किया। इस शोक सभा में लक्ष्मी नारायण कुम्भकार,गजेंद्र झा, अजय चन्द्रवँशी और घनश्याम त्रिपाठी ने भी अपने श्रद्धांजलि वक्तव्य दिए।