■भिलाई में शिवानंद योग निकेतन द्वारा पांच दिवसीय श्री रामकथा का समापन. ■विजय का सूत्र निहित है रामकथा में-पं.नीलमणि दीक्षित.
■स्थल : कृष्णा पब्लिक स्कूल, नेहरू नगर,भिलाई.
■भिलाई
कृष्णा पब्लिक स्कूल तथा शिवानंद योग निकेतन के संयुक्त तत्वाधान में जारी पाँच दिवसीय श्री रामकथा का समापन मंगलवार को भक्तगणों की गरिमामय उपस्थिति में हुआ।
कृष्णा पब्लिक स्कूल नेहरू नगर भिलाई के परिसर में पांचवें दिन शुभारंभ पर पं. सतीश त्रिपाठी के मंत्रोच्चारण के साथ पं. नीलमणि दीक्षित व एमएम त्रिपाठी सहित उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों व श्रद्धालुओं ने माँ सरस्वती के समक्ष दीपप्रज्वलित व माल्यार्पण किया। ग्रंथ पूजन नागेंद्र त्रिपाठी व दिव्या त्रिपाठी ने किया। श्रद्धा मिश्रा व चित्रा इग्ले ने नीलमणि दीक्षित व एमएम त्रिपाठी का माल्यार्पण कर स्वागत व सम्मान किया।
श्रीरामकथा तन-मन को पवित्र कर उज्जवल करने के साथ-साथ जीवन शैली और आत्मा को नया रूप देती है। रामकथा का आनंद तभी है, जब वक्ता और श्रोता दोनों सुर, लय, ताल मिलाकर कथा का रसपान करें। ऐसा ही मधुरम दृश्य व आनंद परिसर में परिलक्षित हुआ जब ताल, लय और सुर के साथ के साथ भक्त जन रामकथा में लीन होकर भाव विभोर हो थिरकने और झूमने लगे।
अध्येता, कथावाचक, शिक्षाविद एमएम त्रिपाठी ने कहा कि प्रेम प्रकट हो जाए तो परमात्मा खुद प्रकट हो जाएंगे। प्रेम के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है। भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्न के चरित्र में प्रदर्शित त्याग और तपस्या की बातों को निरंतर श्रवण करते रहने से सुनने वाले के अंदर भी ऐसे ही महान गुणों का समावेश हो जाता है। वस्तुत: राम धर्मपालन के आदर्श प्रतिमान है। पारिवारिक व सामाजिक मर्यादाओं के संदर्भ में उनका कृतित्व अनुकरणीय है। विजय का सूत्र रामकथा में निहित है। उनके इन अनमोल वचनों ने सभा में उपस्थित जनों को उत्साह और उमंग से भर दिया।
इसके उपरांत भातृ स्नेह की पराकाष्ठा का वर्णन करते हुए पं. नीलमणि दीक्षित ने कहा ”भरत सरिस को राम सनेही जगजप राम राम जप जेहि” भरत जैसा प्रेमी और त्यागी भाई होना दुर्लभ है। जहाँ भरत रामजी का भजन करते हैं वहीं प्रभु राम ने भरत की भक्ति की है ऐसा करके प्रभु राम भरत को उच्च पद प्रदान करते हैं। ऐसा विलक्षण व निस्वार्थ भातृत्व प्रेम का श्रवण विश्व को एकसूत्र में बाँधने व परस्पर सम्मान देने का भाव रामकथा की महिमा है।
सभा में उपस्थित शिवानंद योग निकेतन के अध्यक्ष गोपाल दुबे ने पं. नीलमणि दीक्षित तथा एमएम त्रिपाठी के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए कहा कि पं. नीलमणि दीक्षित विलक्षण व्यक्तित्व के स्वामी है जो मानस के भावों की प्रस्तुति में नील नीरधर श्याम की भांति है तथा कथावाचक, संत एमएम त्रिपाठी रामकथा के रहस्यों के मर्मज्ञ कल्याणकारी शिव ही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिवानंद योग निकेतन का रामचरितमानस प्रकल्प प्रतिदिन दीक्षित के सुमधुर कंठ से राम कथा का सारगर्भित स्वाध्याय करता है क्योंकि रामचरित मानस दैनिक मानवीय जीवन को सार्थकता प्रदान कर जीवन को दिव्यता देने में एकमात्र सहज सरल ग्रंथ है। मशीन की इस नगरी भिलाई में अध्यात्म का रसास्वादन करने वाले कथानुरागी, सुधीर बौद्धि, शिक्षित श्रद्धालुजनों की उपस्थिति ने यह सिद्ध कर दिया कि भिलाईवासी शिक्षा व धर्म दोनों के प्रति अनुरागी है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से नरेश खोसला, आनंद त्रिपाठी, प्रमोद त्रिपाठी, कृष्णा त्रिपाठी व अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
इस आयोजन में शिवानंद योग निकेतन नेहरू नगर भिलाई के कर्मठ, अनुभवी, रामानुरागी कार्यकताओं तथा कृष्णा पब्लिक स्कूल नेहरू नगर भिलाई के कत्र्तव्यपरायण, कृष्णा आर्टस् एवं म्यूजिक कॉलेज की प्रध्यापिका ज्योति शर्मा, अध्यापिका धनेश्वरी साहू, ऊषा प्रांजल, ऋतु मेनन तथा समाज सेवक नरेश खोसला, मंच संचालक सुनीता त्रिपाठी तथा रमेश तिवारी का सहयोग सराहनीय रहा।
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