■कोरोना की तीसरी लहर से बचने नाक,मुहं एवं गले के इंफेक्शन को शरीर में अंदर जाने से बचाना ही बेहतर उपाय- डॉ. सूरज भावनानी.
■भिलाई ‘कोरोना’ की इस तीसरी लहर में सावधानी बरतना बेहतर उपचार है। इसके लिए हम सबको नाक, मुंह एवं गले के इंफेक्शन को शरीर में अंदर जाने से बचाना ही बेहतर सावधानी है। इस संदर्भ में अंचल के दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. सूरज भावनानी का कहना है कि कोई भी प्राकृतिक इंफेक्शन शरीर में नाक, मुंह या गले से ही प्रवेश करता है। कोरोना वायरस भी नाक, गला एवं मुंह का ही इंफेक्शन है जो सांस द्वारा या बार बार नाक के दृव्य को अंदर खींचने से गले एवं फेफड़े में पहुंचता है। इसी प्रकार गले का इंफेक्शन भी स्वर नली द्वारा फेफड़े में या आहार नली द्वारा पेट में पहुचता है। इस प्रकार फेफड़े या पेट में इंफेक्शन होने से सांस में तकलीफ एवं पेट से संबंधित विकार शुरू हो जाते हैं। डॉ. सूरज का कहना है कि हम अक्सर नाक, गले एवं मुंह की सफार्ई की तरफ उतना ध्यान नहीं देते जितना आवश्यक है। हमारे मुंह में लाखों बैक्टीरिया रहते हैं एवं कई लोगों को दांतों की सडऩ एवं मसूड़ों का इंफेक्शन भी रहता है। हर खाने-पीने के बाद यदि मुंह न धोया जाय या मुंह बंद रहे तो मुंह एवं सांस में बदबू आने लगती है एवं हर खाने पीने के साथ पेट में चली जाती है। हर खाने-पीने के पहले एवं बाद में मुंह को अच्छी तरह सादे या गुनगुने पानी से धो लें या गरारा कर लें तो इंफेक्शन के शरीर के अंदर जाने की संभावना काफी कम हो जाती है।
इसी प्रकार नाक में इंफेक्शन होने या सर्दी जुकाम होने से नाक से बहते पानी को साफ कर बाहर फेंकने की बजाए कई लोग अंदर खींच लेते हैं इससे यह गले तक फिर पेट एवं फेफड़े में पहुंच जाता है यदि नाक के द्रव्य को हम बाहर फेंके एवं साफ रूमाल से या वाइप या टिश्यूू पेपर से पोछते रहें एवं नाक को साफ रखें तो इंफेक्शन को अंदर जाने से रोक सकते हैं शरीर को इंफेक्शन के नुकसान से बचा सकते हैं।
डॉ. सूरज ने कहा कि कोरोना मनुष्य से मनुष्य में फैलने वाला इंफेक्शन है। छींकने एवं खांसने से दूसरों में फैल सकता है इसलिये सोशल डिस्टेंसिंग एवं मास्क लगाना अनिवार्य है किन्तु मास्क लगाने के बाद भी स्वयं के नाक एवं गले के इंफेक्शन को शरीर में अंदर जाने से रोका नहीं जा सकता ऐसे व्यक्तियों को नाक एवं गले की सफाई रखना अति आवश्यक है। गर्म पानी पीने से ठंड की एलर्जी एवं वायरल इंफेक्शन से बचा जा सकता है किन्तु गर्म पानी भी गले के इंफेक्शन को पेट में ले जा सकता है अत: खाने-पीने के पहले एवं बाद में गरारा कर गले के इंफेक्शन को बाहर फेंका जा सकता है। बेहतर है वॉश बेसिन में फ्लश किया जाये ताकि इंफेक्शन दूसरों को न फैले।
उन्होंने कहा क िहमारा शरीर इंफेक्शन के लिये हाई रिस्क पर रहता है। इसीलिये बच्चे के पैदा होते ही टीका लगवाना आवश्यक हो जाता है ताकि उसे जानलेवा या विकलांग करने वाली बीमारियों से बचाया जा सके। अत: जितने भी टीके उपलब्ध हैं लगवा लेना चाहिये। हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कुदरती रहती है जो हर इंफेक्शन से लड़ कर उससे शरीर को होने वाले नुकसान से बचाती है। यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तो इंफेक्शन से शरीर को होने वाले नुकसान से नहीं बचाया जा सकता। दिमागी सुकून, उचित खान-पान एवं भरपूर नींद से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है। इस हेतु प्रकृति के अनुसार दिनचर्या अपनाना बेहतर होगा। श्वांस द्वारा ही हमारा शरीर चलता है किन्तु पूरी श्वांस कोई भी व्यक्ति नहीं लेता। यदि प्रतिदिन स्वच्छ वातावरण में छाती एवं पेट फुलाकर पूरी ताकत से श्वांस ली जाए तो फेफड़े मजबूत होते हैं एवं शरीर को अच्छी ऑक्सीजन की मात्रा मिलती है। मौसम बदलने से फरवरी-मार्च तथा सितंबर-अक्टूबर में मौसमी एलर्जी की संभावना अधिक हो जाती है। आंखें लाल होना, खुजली होना, पानी निकलना, छींकना, नाक से पानी बहना शुरू हो जाता है। ऐसा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से होता है। मौसमी एलर्जी में नाक एवं गले का इंफेक्शन जल्दी हो जाता है एवं वायरल इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। हो सकता है मौसमी एलर्जी के चलते कोरोना इंफेक्शन कुछ व्यक्तियों को हो गया हो एवं सोशल डिस्टेसिंग न रखने से या मास्क न लगाने के कारण अनेक लोगों में फैल गया हो। आंख का वायरल इंफेक्शन अश्रु नली (जो आंख को नाक से जोड़ती है) द्वारा नाक या गले में पहुंचकर शरीर के अंदर जा सकता है। अत: आंखों को बार-बार धोना एवं अंगुलियों से न छूना ही बेहतर होगा। क्योंकि हमारी उंगलियां एवं हाथ हमेशा साफ नहीं रहते धूल मिट्टी लगी रहती है अत: उंगलियों से बार बार आंखों एवं नाक को छूने से एलर्जी एवं इंफेक्शन का रिस्क बढ़ जाता है अत: कोरोना इंफेक्शन होने के बाद भी गले, मुंह एवं नाक की सफाई रखें एवं इंफेक्शन को शरीर में अंदर न जाने दें, फेफड़े को प्राणायाम द्वारा मजबूत करें तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ायें एवं टीका लगवा लें तो कोरोना से शरीर को डेमेज होने से बचाया जा सकता है। फिर भी यदि कोरोना इंफेक्शन होता है तो वायरल लोड कम होगा एवं रिकवरी जल्दी होगी। आप अपने तन एवं मन के मालिक खुद हैं। स्वस्थ रहें एवं सुरक्षित रहें एवं ईलाज के खर्च से बचें।
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