भिलाई : ‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ द्वारा ‘ कॉफी विथ साहित्यिक विचार – विमर्श आड्डा : इस सप्ताह शामिल हुए – श्रीमती बानी चक्रवर्ती, श्रीमती स्मृति दत्ता, शुभेंदु बागची, दुलाल समद्दार, प्रकाश चंद्र मण्डल, रवींद्र नाथ देबनाथ और प्रदीप भट्टाचार्य
भिलाई [इंडियन कॉफी हाउस, भिलाई निवास में शनिवार 29 जुलाई 2023] :
[ बाएँ से – दुलाल समाद्दार, प्रकाश चंद्र मण्डल, बानी चक्रवर्ती, प्रदीप भट्टाचार्य, स्मृति दत्ता, शुभेंदु बागची और रवींद्र नाथ देबनाथ ]
60 वर्ष पुरानी संस्था ‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ बांग्ला कल्चर्स को लेकर प्रति शनिवार को ‘ कॉफी विथ साहित्यिक विचार – विमर्श आड्डा ‘ का आयोजन करता है, जिसमें साहित्य के अलावा देश – विदेश में हो रहे सम – समसामयिकी विषयों को लेकर उपस्थित रचनाकार चिंतन मंथन के साथ अपनी बात को आपस में साझा करते हैं.
आज ‘ कॉफी विथ साहित्यिक विचार – विमर्श आड्डा ‘ की अध्यक्षता संस्था की सभापति बांग्ला की सुप्रसिद्ध कवयित्री बानी चक्रवर्ती ने किया. संचालन बांग्ला और हिंदी के कवि व नाट्यकार प्रकाश चंद्र मण्डल ने किया.
•स्व.दीपक कुमार सरकार
सभा के प्रारंभ में विगत दिनों दिवंगत हुए संस्था के वरिष्ठ सदस्य कवि लेखक दीपक कुमार सरकार को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दो मिनट का मौन रखा गया. दीपक दादा का जन्म 29 जुलाई 1943 को हुआ था और देवगमन 23 जुलाई 2023 को 80 वर्ष की उम्र में हुआ. लगभग 3 माह पूर्व उनकी पत्नी का भी निधन हो गया था. दीपक दादा के दो पुत्र जेष्ठ सौमेन सरकार और कनिष्ठ पुत्र डॉ. सौरेन सरकार हैं. उनके भाई तापस सरकार से ये जानकारी प्राप्त हुई. संस्था की सभापति बानी चक्रवर्ती और उप सभापति स्मृति दत्ता ने दीपक दादा के साहित्यिक अवदानों के बारे बताते हुए कहा, उनकी 9 कृति/संग्रह प्रकाशित हुई है. प्रथम कृति ‘ प्रयास ‘ हिंदी में प्रकाशित हुई थी और दो और कृति ‘ हाइकु ‘ व ‘ समय रे पदध्वनि ‘ काफी चर्चित संग्रह है. दुलाल समद्दार, प्रकाश चंद्र मण्डल, शुभेंदु बागची, रवींद्र नाथ देबनाथ और प्रदीप भट्टाचार्य ने भी उनको याद करते हुए बोले कि दीपक दादा कविहृदय तो थे ही, उसके साथ – साथ सामाजिकता एवं समचतेना और उदार व्यक्ति के मनुष्य थे.
श्रद्धांजलि के बाद विचार – विमर्श में संस्था के सदस्यों ने पिछले दिनों हुए मणिपुर की घटना की घोर निंदा की और कहा ये समाज के लिए निंदनीय है. सदस्यों ने अपनी मुखर रचना के माध्यम से भी बात रखी –
प्रकाश चंद्र मण्डल ने अपनी कविता के माध्यम से कहा – जागो मेरे बेटियों जागो/जागो उठो/जागो उठो/चुप क्यों हो तुम/जाग जाओ मेरे देश की बेटियों/क्यों धरे हो मौन/कर डालो इन वहशियों को/कर डालो इन्हें पौरुषहीन/वरना तुम्हें बचाएगा कौन ❓
शुभेंदु बागची ने अपनी कविता के माध्यम से कहा – जन्म – भूमि या जननी हो/हर जनम उस पर कुर्बान हो! मैं भी जन्मा/तुम भी जन्में/बिन माँ के जनी/है कौन – कौन जन/तेरा हुआ है चीर – हरण! के रोज हुआ है चीर – हरण! के रोज हुआ है चीर – हरण ❗
दुलाल समाद्दार ने सावन माह के दृश्य को अपनी कविता के माध्यम से उल्लेखित किया. ‘ श्रावन ‘ और ‘ आमी बृष्टि भालो बासी ‘ शीर्षक से बांग्ला कविता को पढ़ा.
स्मृति दत्ता ने ‘ नग्न कोरोछे ताई, नग्न आमी ओ चिनेछी, राजा के… ‘ शीर्षक से बांग्ला में उत्कृष्ट कविता का पाठ किया.
बानी चक्रवर्ती और प्रदीप भट्टाचार्य ने भी अपनी – अपनी प्रतिनिधि छोटी – छोटी कविता का पाठ किया, जो बेहद ही संवेदनशील थी.
आज के कॉफी विथ साहित्यिक विचार – विमर्श आड्डा का आभार व्यक्त ‘ बंगीय साहित्य संस्था ‘ के महासचिव शुभेंदु बागची ने किया.
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