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इस भारतवंशी ने कर दिया ऐसा कमाल की अब मंगल ग्रह के खारे पानी से बनेगा ऑक्सीजन एवं ईंधन
अमेरिका में भारतीय मूल के वैज्ञानिक के नेतृत्व में एक नयी प्रणाली का विकास किया है जिससे मंगल ग्रह पर उपस्थित नमकीन पानी से ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन ईंधन से बनाया जा सकता है.
मंगल बहुत ठंडा ग्रह है बावजूद इसके पानी यहां जमता नहीं है जिससे बहुत संभावना है कि उसमें बहुत अधिक नमक (क्षार) हो जिससे उससे हिमांक तापमान में कमी आती है.
बिजली की सहायता से पानी के यौगिक को ऑक्सजीन और हाइड्रोजन ईंधन में बदलने के लिए पानी में घुली लवन को अलग करना पड़ता है जो बहुत लंबी और खर्चीली प्रक्रिया होने के साथ साथ मंगल ग्रह के वातावरण के हिसाब से खतरनाक भी होगी.
अमेरिका स्थित वाशिंगटन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर विजय रमानी ने मंगल की परिस्थिति में पानी को दो द्रव्यों में खंडित करने वाले हमारा ‘इलेक्ट्रोलाइजर’ मंगल ग्रह और उसके आगे के मिशन की रणनीतिक गणना को एकदम से बदल देगा। यह प्रौद्योगिकी पृथ्वी पर भी सामान रूप से उपयोगी है जहां पर समुद्र ऑक्सीजन और ईंधन (हाइड्रोजन) का व्यवहार्य स्रोत है.
रमानी और उनकी टीम के द्वारा किए गए अनुसंधान को जर्नल प्रोसिडिंग ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में जगह दी गई है. मंगल ग्रह पर अस्थायी तौर पर भी रहने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को पानी और ईंधन सहित कुछ जरूरतों का उत्पादन लाल ग्रह पर ही करना पड़ेगा.