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13 फ़रवरी विश्व रेडियो दिवस पर विशेष
-जयदेब गुप्ता मनोज़
धनबाद-झारखंड
धनबाद । रेडियो आज अतीत का याद बनकर रह गया है फिरभी हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी जी अतीत के सूनहरे याद को ताजा करते हूए रेडियो के माध्यम से मन की बात प्रसारण करने की परम्परा जो शुरू किया है वह काबिले तारीफ है। देश के लाखो रेडियो प्रेमियो के मनमे उम्मीद का दीया जला है। जबकि मोबाईल ने रेडियो के साथ साथ टी,वी,कम्पुटर पर भी अपना कब्जा जमा लिया है।
रेडियो सिलोन, विविध भारती एंव अन्य बिदेशी रेडियो चैनल मोबाईल पर सुना जा सकता है जबकि एक समय एैसा भी था जब घर घर मे रेडियो होता था ओर आज रेडियो दुकान मे रेडियो खरीदने जाने पर रेडियो नही मिलता है जबकि एक समय एैसा था कुछ शहर श्रोताओ के नामो के कारण देशबिदेश मे पहचान मिली है आपको याद होगा झारखण्ड के एक छोटा सा शहर झुमरी तिलैयाइस शहर के मशहूर रेडियो श्रोता स्व,रामेश्वर वर्णवाल ओर छत्तीसगढ के भाटापाडा के मशहूर श्रोता बचकामलजी को कोन भूल सकता हैा देशके इन दो श्रोताओ ने अपने नाम के साथ साथ अपने शहर का नाम देश बिदेश मे अमर कर दिया। वैसे रेडियो सिलोन के एैसे कई पुराने श्रोता है जो अपने नाम के साथसाथ अपने शहर का नाम काफी रौशन किया है।
इन्ही लोकप्रिय श्रोताओ ने हर वर्ष 13 फरवरी को याद करते हूए देश _विदेश मे श्रोताओ ने विश्व रेडियो दिवस मनाते है ओर हमारे देश भारत मे तो बहुत बडे पैमाने पर रेडियो श्रोता सम्मेलन मनाए जाते हैा कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष श्रोता सम्मेलन*शायद नही मनाया जा रहाा
1979 मे धनबाद मे स्व,प्रीतम प्यासा,स्व,नवाव असगर अली,जयदेब गुप्ता मनोज,गजेंद्र कुमार चावडा,रामचंद्र गुप्ता ओर प्रभात रंजन प्रसाद ने यह बीडा उठाते हूए विशाल श्रोता सम्मेलन का आयोजन किया था इस सम्मेलन मे रेडियो सिलोन के पूर्व उद्घोषक रिपु सूदन कुमार एलावादी ओर आकाशवाणी रॉची के उद्घघोषक धर्मेंदर जी के साथ साथ देशके कई प्रांतो से श्रोताओ को एक मंच पर लाने का प्रयास किया था।उसके बाद अकोला,रायपुर ओर किशोर कुमार नगरी खंडवा मे विशाल श्रोता सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
इस वर्ष भी परिचर्चा के लिए कई पुराने श्रोताओ से सम्पर्क किया था लेकिन समय पर उनकी बिचार नही आने के कारण रेडियो सिलोन के अपार लोकप्रिय पूर्व उद्धघोषक मनोहर महाजन जी का आलेख प्रस्तुत कर रहा हू।
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-मनोहर महाज़न
[ रेडियो सिलोन के पूर्व उदघोषक ]
मुंबई । ये स्थापित सत्य है कि रेडियो दुनिया का सबसे सुलभ मीडिया माध्यम है,इसकी पहुंच दूर दराज़ के हर छोटे बड़े इलाके तक है,और इसकी महत्ता
देर से सही “संयुक्त राष्ट संघ ने” समझी और इसे रेखांकित करते हुए “विश्व रेडीओ दिवस”की शुरुआत की 2012 में.,..और दिन मुकर्रर किया…13 फरवरी.ये दिन संयुक्त राष्ट्र-संघ का स्थापना दिवस भी है.
रेडियो श्रोता दिवस मनाने का मक़सद, साल में कम से कम,एक दिन- रेडियो प्रसारकों, श्रोताओं, रेडियो स्टेशनों एवं रेडियो से जुड़ी अन्य संस्थाओं को एक मंच प्रदान करना है ताकि रेडियो को आपसी विचार परामर्श द्वारा और बेहतर बनाया जा सके.
पिछले कई सालों से मुझे “रेडियो श्रोता दिवस” में शामिल होने सौभाग्य मिला है। इन सम्मलनों में उद्घोषकों और श्रोताओं के बीच जो सामंजस्य एवम् भागीदारी देखने को मिली वो अदभुत रही है। कई श्रोता जो रेडियो की वजह से एक दूसरे के नामों से परिचय थे,रूबरू मिले। नाम..पते… फ़ोन न. एक्सचेंज हुए।कई ऐसे भी थे जो अपने ideal announcer को सिर्फ देखने आए थे,दूर-दराज़ से।
याद रखिये रेडियो सबसे सुलभ,सरल और लोकप्रिय माध्यम है,एक ऐसी ताक़त है जो किसी भी देश को एक कर सकती है,देश की तक़दीर बदल सकती है। बस ज़रूरत है एकजुट होने की। क्या ही अच्छा हो समस्त भारत के श्रोता, उदघोषक, रेडियो एजेंसियां और इससे जुड़े संस्थान एकजुट होकर रेडियो दिवस को एक ‘अखिल भारतीय’ स्वरुप देकर हर राज्य में इसे बारी बारी से मनाने की परम्परा शुरू करें ? तब किसी एक श्रोता संघ को इसे मनाने की बारी 37 वर्ष में एक बार आएगी.भारत में 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश है।’अनेकता में एकता’ का ये एक सच्चा प्रयास होगा।
अपने इन्ही विचारों के साथ,`रेडियो श्रोता दिवस` के अवसर पर समस्त रेडियो’बिरादरी को मेरी ओर से ढेर सारी बधाई और प्यार.
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-अश्विनी कुमार शर्मा
नई दिल्ली
नई दिल्ली । रेडियो सुनने वाला हर श्रोता जानता है कि विश्व रेडियो दिवस प्रत्येक वर्ष 13 फरवरी के दिन मनाया जाता है … यह दिवस हमारे जीवन से सूचना, संचार आदि को हम सभी तक पहुचाने वाले रेडिओ से जुड़ा हैं … गीतों के माध्यम से मनोरंजन का आज भी ये सशक्त माध्यम है … दूर दराज के रहने वाले जो इंटरनेट जैसी सुविधाओं से वंचित हैं आज भी रेडियो द्वारा गीत संगीत और अन्य आवश्यक जानकारी रेडियो से ही प्राप्त कर पा रहे हैं … रेडियो के चाहने वाले आज भी मोबाइल, टेलीविज़न और दूसरी आधुनिक संचार सुविधाओं के बावजूद रेडियो को प्राथमिकता देते हैं … इसका मुख्य कारण है कि रेडियो कभी आपके कार्य में व्यवधान उत्पन्न नहीं करता … यहां तक कहा गया है और अनुभव किया गया कि रेडियो सुनते हुए कार्यक्षमता बढ़ जाती है …
रेडियो के कम होते हुए उपयोग को ध्यान में रख कर और श्रोताओं में जागरूकता बनाये रखने के लिए World Radio Day की शुरुआत हेतु “स्पेन रेडियो अकैडमी” ने वर्ष 2010 में इसको लेकर एक प्रस्ताव रखा था और फिर यूनेस्को की महासभा के 2011 के 36वें सत्र में 13 फरवरी के दिन को विश्व रेडियो दिवस के रूप में घोषित किया गया … इस वर्ष 13 फरवरी को रेडियो दिवस का नारा है New World New Radio …
RADIO का सही अर्थ है Remote Audio Discrete Integrated Oscillations … अक्सर लोग रेडियो को यंत्र मान लेते हैं … जबकि ऐसा नहीं है … आसान शब्दों में ये एक दूर संचार के माध्यम जैसी प्रणाली ही है … पहले रेडियो Amplitude Modulation प्रणाली पर बनते थे … उसके बाद Frequency Modulation प्रणाली का विकास हुआ … जिनको Analog Radio नाम दिया गया था … बाद में Digital Radio विकसित हुए जो कि AM/FM को भी प्रसारित कर सकते थे … आजकल Online रेडियो का प्रचलन बढ़ गया है … मोबाइल या कंप्यूटर या लैपटॉप या टेबलेट किसी भी यंत्र पर आप मनचाहा गीत संगीत सुन सकते हैं … लेकिन RADIO का कार्य आज भी वही है … केवल स्वरुप बदल गया …
आप कहीं भी रहते हों … किसी भी आयु के हों … आप रेडियो द्वारा बाहरी दुनिया से संपर्क कर सकते हैं … कुछ ही सेकण्ड्स में … RADIO के द्वारा …
World Radio Day पर दुनिया भर में सूचना के आदान-प्रदान और लोगों को शिक्षित और मनोरंजन करने में अपनी अहम भूमिका को निभाने वाले RADIO यंत्रों को नमस्कार / सलाम / Salute … और विश्व रेडियो दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं …
सुनते रहिये सुनाते रहिये और गुनगुनाते रहिये …
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【 ●संकलन-जयदेब गुप्ता मनोज़,झारखंड हेड,’छत्तीसगढ़ आसपास’. ●प्रिंट एवं वेबसाइट वेब पोर्टल, न्यूज़ ग्रुप समूह,रायपुर,छत्तीसगढ़. 】
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