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विश्व भाषा दिवस पर विशेष
●हमारी भाषा : हमारा अहंकार
●आश्चर्य ना !
सच
घोर आश्चर्य !!
-डॉ. सोनाली चक्रवर्ती
वह लोग ना जमीन के लिए, ना पानी के लिए ,ना दुनिया के किसी और सुकून और शै के लिए लड़ रहे थे
वे लड़ रहे थे भाषा के लिए
वे लोग उस वक्त ना हिंदू थे ना मुसलमान
वे सिर्फ बंगाली थे
जो बांग्ला भाषा के लिए प्राण देने को तैयार थे।
मुसलमान (भी) रविंद्र नाथ की कविताओं की आवृत्ति करना चाहते थे हर बात में
हिंदू (भी) काजी नज़रुल इस्लाम के गीतों पर जान देते थे।
ये गीत इनकी जीवन रेखा थी
और
राजनीतिज्ञों ने दो शहरों के बीच लकीरें खींच कर दो देश बना दिए!
लेकिन पहली बार किसी देश का नाम किसी भाषा पर रखना पड़ा
आम के पेड़ की जड़े एक देश में तो उसकी शाखाएं दूसरे देश में
एक तालाब का एक हिस्सा एक देश में तो दूसरा हिस्सा दूसरे देश में
मछलियां चाहे तो दोनों देश घूम सकती थी लेकिन बंगाल के लोग नहीं
इतिहास के सबसे अमानवीय अत्याचारों के बावजूद यह लोग अपनी भाषा के लिए लड़ रहे थे ।
वे रो रहे थे
चीख रहे थे
तड़प रहे थे अपने टूटे घरों और छूट गए सपनों के लिए नहीं बांग्ला भाषा के लिए। उन्होंने अपने गहनों के साथ अपनी किताबों की भी गठरियां बनाई व अभिशप्त इतिहास की दरारों को पार किया।
भाषा से यह प्रेम अन्यत्र कहीं नहीं दिखा
और हम क्या कर रहे हैं??
आज अपनी भाषा में बात करने में भी हमें शर्म आती है।
विमानपत्तन पर मुझे हिंदी की एक किताब भी नहीं दिखती है
और तो और आज हिंदी की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों के नाम अंग्रेजी में रखे जाते हैं ।
आज का दिन हम उन शहीदों को अवश्य प्रणाम करेंगे।
जिन्होने भाषा के लिए आंदोलन किया… अपनी जान दी….
21 फरवरी को विश्व भाषा दिवस के रूप में आज मनाया जाता है
ये उन्हीं शहीदों का प्रताप है
[ ‘स्वयंसिद्धा’ की डायरेक्टर डॉ. सोनाली चक्रवर्ती बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं. हिंदी साहित्य में पीएचडी एवं इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से संगीत विशारद,सुगम संगीत में डिप्लोमा प्राप्त सोनाली जी ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ समूह की बोर्ड ऑफ़ डायरैक्टर की सदस्य हैं. डॉ. सोनाली चक्रवर्ती विगत 18 वर्षों से ‘शाश्वत संगीत अकादमी’ का संचालन करते हुए रचनात्मक लेखन औऱ पत्रकारिता में भी सक्रिय हैं. स्वच्छ भारत मिशन, भिलाई नगर निगम की ब्रांड एंबेसडर डॉ. सोनाली चक्रवर्ती का पूरा परिचय शब्दों से दिया जाना सम्भव नहीं, मेरे पास शब्द कम है, मैं और क्या-क्या लिखूं,कुछ बातें फ़िर कभी….-संपादक ]
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