पंजाब चुनाव विश्लेषण, इन 5 नए खिलाड़ियों ने राजनीति के कद्दावरों को दी ऐसी शिकस्त कि राजनैतिक विश्लेषक भी भौचक्के में पड़ गये
पंजाब चुनाव में आम आदमी पार्टी ने ऐसा उलटफेर किया है कि राजनीति के बड़े-बड़े विश्लेषक भी चक्कर में पड़ गये हैं। पार्टी के कुछ ऐसे उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत हासिल की है, जिन्हें ना तो राजनीति का ज्यादा अनुभव है और ना ही पार्टी में कामकाज का। कुछ नाम तो ऐसे हैं कि उनके बारे में पहले सुना भी नहीं गया था। लेकिन कमाल की बात ये है कि इन लोगों ने पंजाब चुनाव के ऐसे धुरंधरों को मात दी है, जो पद , प्रतिष्ठा और नाम के मामले में टॉप लीडरों में गिने जाते हैं। इनका राजनीति में इतना अनुभव है कि लोग मानते हैं कि ये जनता की नस-नस से वाकिफ हैं। लेकिन इस चुनाव में इन्हें मामूली से प्रत्याशियों में बुरी तरह हराया।
अमृतसर पूर्वी सीट : नवजोत सिंह सिद्धू/ बिक्रमजीत सिंह मजीठिया बनाम जीवनजोर कौर
अमृतसर ईस्ट विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा हैरान करने वाला नतीजा दिखा है। यहां से एक ओर कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्य में पार्टी प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू खड़े थे तो दूसरी ओर अकाली दल के बड़े नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया लेकिन इन दोनों को आम आदमी पार्टी (AAP) की उम्मीदवार जीवनजोत कौर ने इस सीट पर करारी शिकस्त दी। जीवनजोत कौर ने 6750 वोटों से चुनाव जीत लिया है। जीवनजोत कौर एक गैर – राजनीतिक परिवार से आती हैं, और पिछले दो दशकों से सामाजिक कार्यों में लगी हुई हैं। अपने सामाजिक कार्यों की वजह से अमृतसर में जीवनजोत कौर की पहचान ‘पैड वुमन’ के तौर पर होती है। उन्हें ये नाम इसलिए मिला है, क्योंकि वह महिला कैदियों को पंजाब भर की जेलों में सैनिटरी पैड मुहैया कराती हैं। कौर ने श्री हेमकुंट एजुकेशन (SHE) सोसाइटी की स्थापना की है, जो गरीब और वंचित लोगों के कल्याण के लिए काम करता है। इन्होंने अपने सामाजिक कार्यों को बढ़ाने के लिए हाल ही में AAP का दामन थामा, और पहले ही चुनाव में जीत दर्ज की।
02 – भदौड़ सीट : चरणजीत सिंह चन्नी बनाम लाभ सिंह उगोके
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को भदौड़ सीट से आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार लाभ सिंह उगोके ने 37,558 मतों से हराया है। आम आदमी पार्टी के नौजवान चेहरे लाभ सिंह भी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। 35 साल के लाभ सिंह उगोके, भदौर क्षेत्र के उगोके गांव के रहने वाले हैं। राजनीति में आने से पहले वो एक मोबाइल फोन की दुकान में काम करते थे। इनके पिता ड्राइवर हैं और उनकी मां गांव के ही एक स्कूल में सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करती हैं। उगोके साल 2013 में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे और इस बार टिकट मिलते ही पंजाब के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के जाने-माने नेता चरणजीत सिंह चन्नी को बड़े अंतर से हरा दिया।
चमकौर साहिब : चरणजीत सिंह चन्नी बनाम चरणजीत सिंह
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भदौड़ के अलावा चमकौर साहिब सीट से भी नामांकन भरा था। चमकौर साहिब पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की परंपरागत सीट है। इस सीट पर चन्नी 2007 से लगातार जीत हासिल कर रहे हैं। लेकिन करीब 15 सालों के उनके राजनीतिक करियर पर एक सामान्य से उम्मीदवार ने ब्रेक लगा दिया। संयोग से AAP ने जिस उम्मीदवार को उनके खिलाफ खड़ा किया, उसका नाम भी चरणजीत सिंह है। चरणजीत इसी इलाक़े के रहने वाले हैं और पेशे से आंखों के डॉक्टर हैं। ये लंबे समय से समाज सेवा करते आ रहे हैं और इलाक़े में उनका काफ़ी सम्मान है। चुनाव का इन्हें कोई अनुभव नहीं है लेकिन ये लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और जन समस्या के मुद्दों को समय-समय पर उठाते रहे हैं। इसके बावजूद चुनावी राजनीति में मुख्यमंत्री चन्नी को उनके ही इलाके में हराना आसान बात नहीं थी।
04 – लांबी सीट : प्रकाश सिंह बादल बनाम गुरमीत सिंह खुडियां
पांच बार मुख्यमंत्री रहे और शिरोमणि अकाली दल के बड़े नेता प्रकाश सिंह बादल 12वीं बार विधायक बनने की दौड़ में शामिल थे। बादल पंजाब के ही नहीं देश की राजनीति के वरिष्ठ खिलाड़ी माने जाते हैं। इन्हें आम आदमी पार्टी के एक 12वीं पास उम्मीदवार ने 11,357 वोटों से हरा दिया। प्रकाश सिंह बादल को हराने वाले AAP उम्मीदवार गुरमीत सिंह खुडियां श्री मुक्तसर साहिब ज़िले के खुडियां महां सिंह गांव के रहने वाले हैं। 59 साल के गुरमीत सिंह खुडियां के पिता जगदेव सिंह खुडियां 1989 में फरीदकोट लोक सभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे। अपने पिता की मौत के बाद गुरमीत कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे। कांग्रेस में लंबे समय तक रहने के बाद वो हाल ही में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे।
वैसे लंबी सीट को शिरोमणि अकाली दल की परंपरागत सीट माना जाता रहा है। इस सीट से 1997 में प्रकाश सिंह बादल पहली बार विधायक बने थे। उसके बाद से वह लगातार इस सीट से 5 बार चुनाव जीत चुके हैं। 2017 में भी लांबी विधानसभा क्षेत्र से उन्हें ही जीत मिली थी। लेकिन इस बार उनकी उम्मीदों पर एक नये प्रत्याशी ने झाड़ू फेर दिया।
पटियाला शहरी सीट : कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाम अजीतपाल कोहली
पटियाला शहरी सीट को सबसे हॉट सीट माना जा रहा था। ये हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रही है। यहां से 11 बार कांग्रेस उम्मीदवार विजयी हुए हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह चार बार (2002, 2007, 2012 व 2017) यहां से जीते हैं। वैसे कैप्टन यहां से कभी नहीं हारे। लेकिन मौजूदा विधायक कैप्टन अमरिंदर को उन्हीं के गढ़ में हराया AAP के अजीतपाल कोहली ने। अजीत पाल सिंह कोहली शिरोमणि अकाली दल के पुराने ‘वफादार’ कोहली परिवार के पुत्र हैं। उनके पिता सुरजीत सिंह कोहली विधायक रह चुके हैं। अजीत पाल भी, बादल सरकार के समय मेयर रह चुके हैं। लेकिन इस बार अजीत पाल ने SAD का साथ छोड़कर आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली। और अपने पहले विधानसभा चुनाव में ही पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कोो पटखनी दे दी।