■झारखंड की रिया तिर्की मिस इंडिया ग्रैंड फिनाले तक जाने वाली पहली आदिवासी युवती…
रिया तिर्की फेमिना मिस इंडिया 2022 के ग्रैंड फिनाले में झारखंड का प्रतिनिधित्व करनेवाली पहली आदिवासी युवती बनी हैं। हालांकि फाइनल में वह दौड़ से बाहर हो गयीं।
यह फिनाले मुंबई में रविवार तीन जुलाई रात आठ बजे को जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में फ़ेमिना मिस इंडिया फिनाले का आयोजन किया गया था। फेमिना मिस इंडिया 2022 का ख़िताब सिनी शेट्टी ने अपने नाम किया। वहीं राजस्थान से ताल्लुक ऱकने वाली रुबल शेखावत ने मिस इंडिया 2022 फर्स्ट रनर-अप और उत्तर प्रदेश की रहने वाली शिनाता चौहान सेकेंड रनर-अप का ख़िताब अपने नाम किया। इन लोगों के अलावा एक और नाम सुर्खियों में है, वह नाम है रिया तिर्कि का, आईए जानते हैं कि ख़िताब नहीं जीतने के बाद भी रिया तिर्की क्यों चर्चाओं में है।
रिया ने झारखंड का राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया मान
रिया तिर्की झारखंड की पहली आदिवासी महिला है जिन्होंने फेमिना मिस इंडिया फिनाले में जगह बनाई। भले ही उन्होंने ख़िताब नहीं जीता लेकिन आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखते हुए उन्होंने अपनी क़बिलीयत के दम पर झारखंड का राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ाया है। यही वजह है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से लेकर पूरे देश से सराहना मिल रही है। रिया तिर्की के शिक्षा की बात की जाए तो वह रांची के विवेकानंद विद्या मंदिर में पढ़ चुकी है। इसके साथ ही उन्होंने विजयवाड़ा (आन्ध्र प्रदेश) पीबी सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंस से शिक्षा प्राप्त की है। मौजूदा समय में वह मॉडल हैं, इसके साथ उन्हें बैडमिंटन, बैंकिंग और एथोलॉजी में काफी दिलचस्पी है।
मिस इंडिया में पहली आदिवासी महिला ने बनाई जगह
आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली 24 वर्षीय रिया तिर्की ने ख़िताब अपने नाम नहीं किया लेकिन वह झारखंड की पहली आदिवासी महिला बन गईं हैं जिन्होंने फेमिना मिंस इंडिया के ग्रैंड फिनाले तक पहुंची। आपको बता दें कि रिया ने फेमिन मिस इंडिया की तैयारी 2015 से शुरू कर दी थी। 8 सालों की कड़ी मेहनत के बाग उन्होंने इस प्रयोगिता में अपने राज्य को अलग पहचान दिलाई है। रिया तिर्की एक उद्यमी बनना चाहती हैं और इसके साथ ही उनकी ख्वाहिश आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने की भी है।
मेहनत करने से कामयाबी ज़रूर मिलती है- रिया तिर्की
रिया तिर्की ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि फाइनलिस्ट चुने जाने पर यह महसूस हो रहा है कि मेरा सपना साकार हो गया। मुझे यह यक़ीन हो गय कि मेहनत करने से वह मौक़ा मिल सकता है जो आपकी ज़िंदगी को एक अलग मुकाम दिला सकता है। इसके साथ ही रिया का सपना है कि वह भारतीय संस्कृति के साथ-साथ अदिवासी संस्कृति को बढ़ावा दें। भारती जनजातीय लोगों के उत्थान के लिए जो भी मुमकिन कोशिश हो सके वह करने के लिए तैयार हैं।
[ ●सुशील मधुकर कुँवर,नासिक-महाराष्ट्र ]
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