गुजरात आसपास
●पारुल विश्वविद्यालय,वड़ोदरा में मीडिया एजुकेशन चैलेंजेज एंड अपुरचुनिटी विषय पर वेबिनार
●मुख्य अतिथि-
प्रो.के.जी.सुरेश,माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी ऑफ़ जनर्लिज़्म के वाइस चांसलर
●आमजन का मीडिया पर से भरोसा उठना चिंताजनक-प्रो.के.जी. सुरेश
गुजरात । वड़ोदरा | वड़ोदरा स्थित पारूल विष्वविद्यालय में संचालित फेकल्टी ऑफ आर्ट्स, पारूल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टस के तहत डिपार्टमेंट ऑफ जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेषन की आरे से विगत दिनों स्वामी विवेकानंद जयंति एवं यूथ डे के अवसर पर मीडिया एज्यूकेषन – चैलेंजेज एंड अपुरच्यूनिटी विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार के मुख्य अतिथि एवं माखनलाल चतुर्वेदी नेषनल युनिवर्सिटी ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्यूनिकेषन के वाईस चांसलर प्रो. के. जी. सुरेष ने फेकल्टी सदस्यों, विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों को संबोधित किया।
प्रो. के. जी. सुरेष ने ओवरडोज ऑफ इनफॉरमेषन को इनफोडेमिक के संदर्भ में समझाया। उन्होंने कहा कि आज लोगों का भरोसा मीडिया पर से उठ रहा है। जो कि चिंता जनक है। इसमें भी अब डिजिटल एवं टीवी मीडिया पर भरोसा न के बराबर है। वहीं दूसरी ओर समाचार पत्रों पर अभी पाठकों का एवं आम जन का भरोसा बरकरार है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब लोग समाचार पत्रों में छपी खबरों को सत्य का पार्याय मानते थें लेकिन अब वो बात नहीं है। इसी को बरकरार रखने के लिये पत्रकारिता के क्षेत्र में आ रही नई पीढ़ी को सीरे से काम करते हुये इसे बरकरार रखना होगा। उन्होंने वाट्स्प पर वॉयरल होने वाले संदेषों एवं उसे ज्ञान के रूप में अपनाने पर चिंता व्यक्त की एवं इसे वाट्स्अप युनिवर्सिटी करार दिया। वर्तमान में प्रिंट मीडिया की चुनौतियों के बारे में चर्चा की एवं डिजिटल मीडिया की ग्रोथ पर विचार व्यक्त किये। उन्होंने ट्रेडिषनल वे ऑफ मीडिया एज्यूकेषन से लेकर मॉर्डन मीडिरूा ऑफ एज्यूकेषन पर अपने विचार व्यक्त किये। इसके साथ ही टेलिविजन पर समाचारों के कवरेज, मोबाईल जर्नलिज्म, डॉ्रन जर्नलिज्म, आर्टिफिषियल इंटेलिजेंस, वर्चुयल रियेलिटी पर अपने विचार व्यक्त किये। भारत में मीडिया एज्यूकेषन के सीनेरियों पर बात करते हुये कहा कि मीडिया एज्यूकेटर्स को लैग्वेज पर कमांड, स्किल, तकनीकी ज्ञान पर भी ध्यान देना चाहिये। जिससे की बेहतर विद्यार्थी तैयार हो सके। विद्यार्थियों को हम इस प्रकार से तैयार करें कि वे जॉब क्रिएटर बने न कि जॉब सीकर। उन्होंने कहा कि भारत में पत्रकारिता का भविष्य रीजनल लैंग्वेज की पत्रकारिता पर टिका हुआ है। इसलिये केवल अंग्रेजी भाषा पर ही फोकस न कर के हमें विद्यार्थियों को हिन्दी सहित अन्य प्रदेषों की क्षेत्रीय भाषाओं पर भी ध्यान देना चाहिये। इससे रोजगार के अवसर तो बढ़ेगे ही एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में नये आयाम भी स्थापित होंगे। उन्होंने विद्यार्थियों से समाज के प्रति संवेदनषील, रिसर्च के प्रति सर्मर्पित, गा्रउंड लेवल से रिपोर्टिंग सिखने, किताबे पढ़ने, भाषा को दुरस्त रखने, लोगों से लगाकतार संपर्क बनाने पर ध्यान देने को कहा जिससे की उनके पत्रकारिता के भविष्य में अच्छे अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सिटीजन डाक्टर, सिटिजन वकील, सिटीजन इंजिनियर्स नहीं हो सकते उसी प्रकार से सिटीजन जर्नलिज्सट टर्म का होनेा लाजमी नहीं है। उन्होंने इसे सिटीजन कम्यूनिकेटर्स की सज्ञा दी। उन्होंने कहा की फेक न्यूज टर्म पर भी आपत्ती जताई एवं कहा कि जब कोई सूचना गलत है तो उसे न्यूज की सज्ञा न देकर उसे फेक कंटेंट कहना चाहिये। उन्होंने मीडिया एज्यूकेटर्स को अध्यययन अध्यापन में विजवल स्टोरी टेलिंग के कांसेप्ट पर कार्य करने को कहा। साथ ही उन्होंने कहा कि कोविड के बाद पब्लिक हैल्थ कम्यूनिकेषन पर विषेष ध्यान दिया जा रहा है एवं हेल्थ कम्यूकिनेषन के क्षेत्र में रेाजगार के बढ़ते अवसरों पर विद्यार्थियों को इससे लाभ उठाने को कहा। इस अवसर पर उन्होंने एविडेंस बेस्ड रिपोर्टिंग, डिस्एबीलिटी इष्यू, ट्रांस जेंडर जैसे विषयों पर भी प्रतिभागियों से बात की।
पारूल विष्विद्यालय के डीन, फेकल्टी ऑफ आर्टस, प्रिंसिपल पारूल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टस एवं प्रोफेसर जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेषन, प्रो. डॉ. रमेष कुमार रावत ने वेबीनार के आरंभ में प्रो. के. जी. सुरेष का स्वागत उद्बोधन के माध्यम से स्वागत किया एवं वेबीनार के अन्त में आभार जताया। वेबीनार में देष के विभिन्न प्रदषों से सैकंडो विद्यार्थियों, षिक्षकों, शोधार्थियों एवं पत्रकारों ने भाग लिया।
【 ●न्यूज़ डेस्क,’छत्तीसगढ़ आसपास’ ●प्रिंट एवं वेबसाइट वेब पोर्टल, न्यूज़ ग्रुप समूह,रायपुर,छत्तीसगढ़. 】