इंगित कथा-गोष्ठी
●मध्य भारतीय हिंदी साहित्य सभा
●ग्वालियर की मासिक ‘इंगित कथा-गोष्ठी’ में हुई ‘लघु कथाओं’ की प्रस्तुति
●विशेष उपस्थिति- जगदीश तोमर,राजकिशोर वाजपेयी’अभय’,श्रीमती सुबोध चतुर्वेदी
●संचालन, रामचरण चिराड़ ‘रुचिर’, संयोजन-संजय जोशी ‘सजल’.
ग्वालियर । मध्यप्रदेश । “मध्यभारतीय हिन्दी साहित्य सभा ,लश्कर, ग्वालियर” के तत्वावधान में गत दिवस आयोजित ऑनलाइन ” कथागोष्ठी” में देश के विभिन्न प्रांतों के कथाकारों, साहित्यकारों ने बहुरंगी लघुकथाओं की राष्ट्रीय भावना एवं सामयिक विषय पर उत्कृष्ट, भावपूर्ण एवं श्रेष्ठतम् प्रस्तुति देकर कार्यक्रम को गरिमामय बना दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य जगदीश तोमर ने की। मुख्य-अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्री राजकिशोर वाजपेई “अभय” एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती सुबोध चतुर्वेदी मंचासीन रहीं। कार्यक्रम का संचालन राम चरण चिराड़”रुचिर” जी ने एवं श्री संयोजन संजय जोशी” सजल”ने किया।
कार्यक्रम में अतिथियों का परिचय एवं कार्यक्रम की भूमिका के साथ विभिन्न विषयों पर केंद्रित लघुकथाएं प्रस्तुति हेतु कार्यक्रम संचालक कवि राम चरण “रुचिर ” ने सभी कथाकारों से आह्वान किया। तत्पश्चात् मां सरस्वती की वंदना स्वरूप शब्द पुष्प अर्पित किए।
कार्यक्रम में सहभागिता करने वाले सम्माननीय साहित्यकारों में सर्वश्री राजकिशोर वाजपेई “अभय” के द्वारा शीर्षक “और कितने केंसर”, श्रीमती सुबोध चतुर्वेदी ” अधूरा ख्वाब”,डॉ. राजरानी शर्मा, ” बड़ी अम्मा” डॉ. प्रतिभा त्रिवेदी,” डोली सजा के रखना”, श्रीमती गिरिजा कुलश्रेष्ठ “अनुत्तरित”,श्री दिलीप मिश्रा “आराम कुर्सी ” , रामलाल साहू ‘बेकस’ ” संकल्प”,अशोक सिरढोणकर “छुट्टी का दिन” , श्री संजय जोशी ‘सजल’ “मेरे सामने”, श्रीमती हर्षा जोशी ” थप्पड़”, व्यंकटेश बलवंत वाकड़े ” आशीर्वाद”, डॉ. दीप्ति गौड़ ‘दीप’-” और प्यार मिल गया “, डॉ. ज्योति उपाध्याय ” वसीयत”, श्रीमती अर्चना कंसल ” बाल गोपाल”, श्रीमती पुष्पा शर्मा ” बसंत” ( सभी ग्वालियर), श्रीमती रीमा पाण्डेय , कोलकाता ” अपना घर “, अन्नपूर्णा श्रीवास्तव पटना(बिहार) ” नई रोशनी “, श्री महेश राजा, महासमुंद” छत्तीसगढ़,” ईमानदार नागरिक”, श्रीमती कविता पुणतांबेकर , शाजापुर, ” नैतिकता की राह” नामक आदि लघुकथाएं प्रस्तुत कीं गईं।
अध्यक्षता कर रहे आचार्य श्री जगदीश तोमर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में “मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य सभा ग्वालियर की इस पहल की भूरि- भूरि प्रशंसा करते हुए कहा, कि आज इस मंच से एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट लघुकथाओं की प्रस्तुति हुई है। यह संस्था ग्वालियर व प्रदेश के नवोदित एवं वरिष्ठ साहित्यकारों को श्रेष्ठ मंच प्रदान करने एवं साहित्यिक गतिविधियां को निरंतर संचालित करने में गत सौ वर्षों से अपनी महती भूमिका निभा रही है। इस संस्था ने विभिन्न विधाओं में कार्यक्रम आयोजित कर राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत एवं सामयिक रचनाओं सहित साहित्यिक गतिविधियां को सुचारू रूप से संचालित रखने में अहम् भूमिका निभाई है। निरंतरता आज भी जारी है। उन्होंने कथाकारों की कथाओं पर समीक्षात्मक उद्बोधन देते हुए यथोचित मार्गदर्शन भी दिया। सभी कथाकारों के प्रति प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर श्री रामचंद्र किल्लेदार,श्री मोरेश्वर डोंगरे, श्रीमती स्नेहा चिटणीस , सहित अनेक साहित्यकार पटल पर उपस्थित रहकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कथाकारों का उत्साहवर्धन करते रहे।
कार्यक्रम के अंत में संचालन कर रहे श्री रामचरण चिराड़ “रुचिर” जी ने सभी सम्माननीय अतिथिगणों, कथाकारों सहित सभी मीडिया के संवाददाताओं ,प्रत्यक्ष एवं परोक्षरूप से सहयोग करने वाले सभी सम्माननीय साहित्यकारों, विशिष्ट जनों का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए, कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम बहुत ही सुन्दर एवं सराहनीय रहा।
[ ●लिटरेचर डेस्क, ‘छत्तीसगढ़ आसपास’. ●प्रिंट एवं वेबसाइट वेब पोर्टल, न्यूज़ ग्रुप समूह,रायपुर,छत्तीसगढ़. ]
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