हिंदी भाषा संवर्धनात्मक पाठ्यक्रम
केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा में गंगटोक एवं गेजिंग (सिक्किम) के विद्यार्थियों का ऑनलाइन भाषा संवर्धनात्मक पाठ्यक्रम का उद्घाटन आयोजन
आगरा । केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के नवीकरण एवं भाषा प्रसार विभाग द्वारा आॅनलाइन आयोजित कार्यक्रम जिसमें जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, गंगटोक एवं गेजिंग (सिक्किम) डायट के शिक्षक डिप्लोमा प्रथम वर्ष कुल 95 प्रतिभागी प्रशिक्षणार्थियों के लिए दिनांक 22.02.2021 से 05.03.2021 तक भाषा संवर्धनात्मक पाठ्यक्रम का आॅनलाइन उद्घाटन समारोह आज दिनांक 22.02.2021 दोपहर 12.00 बजे किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. कुमुद शर्मा, निदेशक, हिंदी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली रहीं, विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. हरीश अरोड़ा, निदेशक, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. बीना शर्मा, निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा ने किया। सभी अतिथियों का स्वागत एवं परिचय प्रो. उमापति दीक्षित, विभागाध्यक्ष, नवीकरण एवं भाषा प्रसार विभाग द्वारा किया गया एवं कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. दिग्विजय कुमार शर्मा ने दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत उद्बोधन के साथ सभी का परिचय देेते हुए विभाग के अध्यक्ष प्रो. उमापति दीक्षित ने किया। इस कार्यक्रम में हिंदी शिक्षण और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के संबंध में विद्यार्थियों ने अपने विचार व्यक्त किए। विद्यार्थियों ने आगरा आकर हिंदी अध्ययन करने की इच्छा व्यक्त की लेकिन कोरोना महामारी के कारण यह सब संभव नहीं हो सका। विद्यार्थियों ने कहा कि हम खुशकिस्मत हैं कि आॅनलाइन के माध्यम से योग्य और प्रशिक्षित प्राध्यापकों से हिंदी प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
मुख्य अतिथि प्रो. कुमुद शर्मा ने अपने उद््बोधन में कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम हिंदी के प्रचार-प्रसार और हिंदी के विकास जोड़ने तक सीमित नहीं है। यह आत्मनिर्भर भारत का भविष्य भी तय करेगा। इस प्रकार के कार्यक्रम से जुड़कर पूर्वात्तर भारत के विद्यार्थी सभी हिंदी भाषा के प्रसार को गति प्रदान करेंगे। अगर इसी तरह प्रयोग प्रशिक्षित होते चले जायेंगे तो शायद ही कोई होगा, जो हिंदी के प्रचार-प्रसार को रोक सके। किसी विदेशी विद्वान ने कहा है कि व्यक्ति का सच्चा स्वाभिमान उसकी भाषा है। यह कोई पोशाक नहीं है जिसे हम बदल सकते हैं। भाषा ही सच्चा राष्ट्रभक्त होने का गौरव प्रदान करती है। हमारी भाषा और संस्कृृति जीवित रहती है तो 21वीं सदी में हिंदी का महत्वपूर्ण भविष्य होगा। हिंदी भाषा आपके देश की पहचान है साथ ही कहा कि हिंदी भाषा का जो सवाल है वह इतना महत्वपूर्ण क्यों है- हिंदी अध्यापन से जुड़कर सभी अपना योगदान दे सकते हैं। आज हिंदी भाषा वैश्विक स्तर पर अपना क्षेत्र विस्तार कर रही है। साथ में क्षेत्रीय भाषाओं का भी फिल्म उद्योग में इनका महत्व बढ़ा है। भारतीय भाषाएं रोजगार प्रदान करती हैं। दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाने लगा है। इसमें हिंदी के उत्कर्ष में सिक्किम के विद्यार्थियों का महत्वपूर्ण योगदान होगा। जिसमें स्थानीय भाषाएं और बालियों को बचाना बहुत जरूरी है। जब हम अपनी मातृृभाषा में बात करते हैं तो लगता है कि अपने आप को पा लिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भाषिक दृृष्टि से बहुत क्रांतिकारी सिद्ध होगी।
विशिष्ट अतिथि प्रो. हरीश अरोड़ा ने अपने उद्बोधन में कहा कि कल हमने अंतरराष्ट्रीय मातृृभाषा दिवस को मनाया है। जब हम भारत की एक भाषा के रूप में चिंतन करते हैं तो हम पाते हैं कि विदेशों में पठन और पाठन हो रहा है। यह हिंदी का शीर्ष रूप है। जब हम किसी भाषा को सीखते हैं तो साथ-साथ अपनी संस्कृृति को भी बचाते हैं। भाषा और संस्कृृति का सीधा संबंध है। जैसे-जैसे हम भाषा सीखते हैं तो बहुत सारे शब्द स्वतः ही सीख जाते हैं। इस प्रकार पूर्वोत्तर भारत में लोगों के हृृदय अपनी क्षेत्रीय भाषा के साथ हिंदी के प्रति वही श्रद्धा रखते हैं। किसी भाषा को विकसित करने के लिए उस भाषा के अस्तित्व व संरक्षण की आवश्यकता होती है। इसके लिए भारत की सभी संस्थाएं जैसे केंद्रीय हिंदी संस्थान, हिंदी निदेशालय आदि को एकजुट होकर हिंदी के प्रचार-प्रसार में कार्य करना होगा। क्योंकि आज तक कुछ क्षेत्रीय भाषाओं की लिपि नहीं है। जिसके कारण ये भाषाएं लुप्त प्रायः हो रही हैं। इसलिए क्षेत्रीय भाषा के संरक्षण के लिए उस भाषा के साहित्य और संस्कृृति को बचाने की आवश्यकता है।
केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा की निदेशक कार्यकम की अध्यक्षता कर रहीं प्रो. बीना शर्मा ने अपने उद््बोधन में कहा कि हम जब अंतरराष्ट्रीय मातृृभाषा दिवस मना रहे हैं तो हमको क्षेत्रीय भाषाओं को आगे लाने की जरूरत है। अध्यापन से जुड़े सभी विद्यार्थियों को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। आप सभी विद्यार्थियों को चाहिए कि प्रशिक्षण के दौरान शब्द प्रयोग पर ध्यान अवश्य दें जिससे आप सभी की हिंदी भाषा और अच्छी होगी। जैसे स, श, ष पर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है। आप सभी विद्यार्थी उस शिक्षण का अंग बन जायेंगे जो आपको शिक्षक पढ़ा रहे हैं। पढ़ाने की क्रिया विद्यार्थियों में सहज भाव से जागृृत हो इसके लिए आवश्यक है शिक्षण सामान्य से खास होना चाहिए। विद्यार्थी प्रशिक्षण के दौरान अध्यापकों के द्वारा कराये जा रहे शिक्षण का आनंद लें। वह एक कौशल है। काम को बोझ समझने वाले विद्यार्थियों को सुधार करने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान विभागीय प्राध्यापकों में श्री सुरेश मीणा, श्री प्रमोद पाठक तथा संस्थान के समस्त शैक्षिक सदस्य उपस्थित रहे।
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