अपना जमीन खरीदकर घर बनवाने के लिए भी मिलता हैं बैंक से ऋण, जाने तरीका, ब्याज दर और अन्य जरूरी बातें.
रेडी टू मूव इन हाउस खरीदने या फिर अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी को बुक करने के अलावा लोग प्लॉट पर घर बनवाने के लिए भी होम लोन लेते हैं. ऐसे लोन्स को कंस्ट्रक्शन लोन्स भी कहा जाता है और भारत के सभी नामी लोनदाता ये लोन देते हैं. रेग्युलर हाउसिंग लोन्स के मुकाबले कंस्ट्रक्शन लोन की मंजूरी और वितरण की प्रक्रिया थोड़ी अलग होती है.
जानिए क्या है प्रोसेस,
अगर आप प्लॉट लेकर या पहले से मौजूद प्लॉट पर घर बना रहे हैं तो आपको बैंक द्वारा पैसा डालने से पहले आपको अपना मार्जिन (20 फीसद या 25 फीसद) डालना पड़ता है। आपके द्वारा पैसा डालने के बाद बैंक पैसा डालते हैं। बैंक शेष राशि एक साथ नहीं देती है बल्कि कंस्ट्रक्शन जैसे-जैसे आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे पैसा डालती है। इसके लिए आपको इंजीनियर या आर्किटेक्ट का सर्टिफिकेट चाहिए होता है। साथ-ही-साथ आगे की किस्तों के लिए बैंक में आपको कंस्ट्रक्शन की स्थिति का फोटो भेजना पड़ता है।
बैंक अपने वैल्यूएर को इस चीज को वेरिफाई करने के लिए भेज सकता है। वैल्यूएर इस बात को देखते हैं कि इंजीनियर या आर्किटेक्ट द्वारा दिया गया सर्टिफिकेट सही है या नहीं।
जमीन के लिए भी मिल सकता है लोन,
कई मामलों में जमीन की लागत कंस्ट्रक्शन पर आने वाली लागत से ज्यादा होती है। ऐसी स्थिति में लेंडर जमीन के लिए भी लोन दे सकता है बशर्ते कि आप एक रीजनेबल टाइम में कंस्ट्रक्शन शुरू करने के लिए तैयार हों।
वहीं, अगर आपने जमीन पहले से खरीदकर रखी है तो उसके लिए दी गई रकम को भी बैंक मार्जिन मनी मानता है। लेकिन बैंक किसी भी परिस्थिति में कंस्ट्रक्शन कॉस्ट से ज्यादा फंडिंग नहीं करेगा।
इन डॉक्यूमेंट्स की होती है जरूरत,
प्लॉट पर घर बनवाने के लिए अगर आपको लोन की दरकार होती है तो आपको आय से जुड़े दस्तावेजों के साथ-साथ जमीन के कागज और इंजीनियर या आर्किटेक्ट द्वारा तैयार मैप और खर्च के Estimate की जरूरत होती है।
Tax में छूट,
जब तक आपका निर्माण पूरा नहीं होता है और जब तक आपको स्थानीय प्राधिकरण की ओर से Completion Certificate या Occupancy Certificate नहीं मिलता है, तब तक आपको टैक्स में छूट नहीं मिलती है। सर्टिफिकेट मिलने के साल से आपको टैक्स में छूट का लाभ मिलता है। अगर आप उस घर में खुद रहते हैं तो आपको Completion Certificate मिलने के साल एवं उससे पहले अगर आपने कोई ब्याज दिया है तो उसके 1/5वें हिस्से पर टैक्स में छूट का लाभ मिलता है लेकिन यह कुल-मिलाकर दो लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।
मूलधन के भुगतान पर भी आपको पजेशन के समय से 80C में छूट का लाभ मिलता है। अगर आप लोन मिलने के तीन साल के भीतर मकान को बेच देते हैं तो मूलधन पर 80C के तहत प्राप्त टैक्स छूट रिवर्स हो जाती है।