बचपन आसपास

4 years ago
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●आलस को हम त्यागें
-डॉ. बलदाऊ राम साहू

बच्चे, बूढ़े या जवान हो
साथ-साथ हम आएँ
आपस में हम प्रीत बढ़ाएँ
और एक हो जाएँ।

जाति-पाति का बंधन तोड़ें
मानवता हम लाएँ
रहे कोई न यहाँ उपेक्षित
मानव धर्म निभाएँ।

पर सेवा, उपकार करें हम
मीठी वाणी बोलें
लेकिन अत्याचार जहाँ हो
ज़ुबाँ अपनी खोलें।

कठिन परिश्रम करें सदा हम
आएँ सबसे आगे
चढ़ें सफलता की चोटी पर
आलस को हम त्यागें।

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