स्मृति शेष- भाषाविद, कवि एवं समीक्षक नरेश वर्मा
शासकीय गजानन्द अग्रवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय भाटापारा (बलौदाबाजार) में पदस्थ प्राध्यापक, विभागाध्यक्ष, हिन्दी साहित्य विभाग, अध्यक्ष, हिन्दी साहित्य मंडल पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर एवं हमारे साकेत साहित्य परिषद् सुरगी जिला राजनांदगॉव के प्रमुख सलाहकार, हम सबके मार्गदर्शक आदरणीय डॉ. नरेश कुमार वर्मा जी 27 अप्रैल को स्वर्गवासी हो गए. उनका जन्म फरहदा (भाटापारा) में 13 अगस्त 1959 को हुआ था.आपके पिता जी का नाम उदय राम वर्मा था जिनका निधन हुए मात्र 25 दिन हुए हैं. इस बीच गुरुदेव वर्मा जी का भी चले जाना हम सबको स्तब्ध कर दिया है.बेहद गरीबी में पले बढ़े वर्मा जी का सपना था कि वे कालेज के प्रोफेसर बने. कठिन संघर्ष और अपनी मेहनत के बल पर वे इस मुकाम को हासिल भी किए. उनकी प्रथम नियुक्ति बाबई (होशंगाबाद) में हुई थी.
आदरणीय वर्मा जी ने प्रारंभिक दौर में साकेत साहित्य परिषद् सुरगी को बहुत ही संबल प्रदान किया. साकेत छत्तीसा भाग 1,2,3 का प्रकाशन कर हम नव रचनाकारों को बहुत प्रोत्साहित किया. वे ग्रामीण प्रतिभाओं को खूब बढ़ावा देते थे. वे बहुत ही सरल, सहज, हंसमुख व्यक्तित्व के धनी के साथ ही अनुशासन प्रिय शख्स थे. वे प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को न केवल प्रोत्साहित करते थे अपितु आर्थिक रूप से सहयोग भी करते थे. राजनांदगॉव जिले के उनके शिष्य एवं युवा प्रोफेसर श्री लाल चन्द सिन्हा वर्मा सर जी को अपने लिए भगवान बराबर मानते हैं. क्योंकि वे स्वीकार करते हैं कि आज जो भी कुछ है वर्मा सर जी के बदौलत है. ऐसा कहते हुए वे फफक फफक कर रोने लगे. वर्मा जी गरीबी की पीड़ा को भोगा था.
साकेत साहित्य परिषद् सुरगी के वार्षिक सम्मान समारोह में पंथी नर्तक स्व. देवदास बंजारे, प्रख्यात कहानीकार डा. परदेशी राम वर्मा जी, डा. विनय कुमार पाठक और तत्कालीन उप नेता प्रतिपक्ष और वर्तमान मुख्य मंत्री आदरणीय भूपेश बघेल जी जैसे हस्ती को लाने का श्रेय डा. वर्मा जी को ही जाता है.
वे प्रख्यात भाषाविद्, कवि एवं समीक्षक थे. उनकी छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह ” माटी महतारी “बहुत प्रशंसित हुई. पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की मांग के लिए उन्होंने अपने खून से पत्र लिखा था.
स्व. वर्मा जी राजनांदगॉव जिले के सबसे बड़े कालेज दिग्विजय महाविद्यालय में एक लंबे अर्से तक हिन्दी विभाग में सेवाएं दी. वे राष्ट्रीय सेवा योजना के अधिकारी भी रहे. वर्ष 1995 में कोहका में उनके कार्यकाल में मैं और दिलीप
साहू भाई जी एनएसएस शिविर में भाग लिए थे. वे हमें बहुत ही प्रोत्साहित करते थे.
वे कालेज में होने वाले राष्ट्रीय सेमीनार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते थे.
वर्मा जी के गुजर जाने से हम सब हतप्रभ हैं. दो वर्ष पूर्व चुनाव के समय वे लकवा के शिकार हुए थे .इस बीच ठीक भी हुए लेकिन वे शारीरिक रुप से कमजोर ही रहे. इस बीच कोरोना ने उन पर और कहर बरपा दिया.
साकेत साहित्य परिषद् सुरगी को बढ़ावा देने में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनके चले जाने से साकेत साहित्य परिषद् को बहुत ही बड़ी क्षति है.वे अपने पीछे पत्नी, पुत्र मयंक वर्मा, पुत्री सहित एक भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं.
स्व. वर्मा जी को साकेत साहित्य परिषद सुरगी जिला राजनांदगॉव और पुरवाही साहित्य समिति पाटेकोहरा विकासखंड छुरिया जिला राजनांदगॉव की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ. शत् शत् नमन है.
[ आलेख,ओमप्रकाश साहू ‘अंकुर’,सुरगी-राजनांदगांव-छत्तीसगढ़. ]
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