■संस्मरण : •सुधा वर्मा.
●कॉलेज की यादें
-सुधा वर्मा
[ रायपुर, छत्तीसगढ़ ]
हम लोग कालेज के जीवन में बहुत मस्ती करते रहे। इसके साथ ही एक और काम हम लोग करते थे। पूरे रास्ते मे गाड़ियों के नम्बर देखा करते थे। कौन सा नम्बर कब आया कितनी बार आया? कार तो बहुत कम हुआ करती थी।मोटर सायकिल और स्कूटर ही रहते थे। पूरे सत्तीबाजार में गाड़ियों की गिनती हमारे द्वारा होते रहती थी। एक नम्बर था 6478 इसके आगे पीछे कुछ पता नहीं। पर यह नम्बर एक इतिहास बन गया तभी तो आज तक याद है। इस नम्बर को जब हम लोग कई बार देखे तब इस नम्बर का इंतजार होने लगा। यह नम्बर रोज एक निश्चित समय पर निश्चित जगह पर ही मिलता थी। कभी आगे पीछे होने पर हम लोग अपने कालेज से निकलने के समय को कम ज्यादा कर के सोचते थे।
कभी भी गाड़ी में बैठे व्यक्ति को देखे ही नहीं ।बी एस सी के बाद मै कभी कभी ही ब्राम्हण पारा और सत्तीबाजार की तरफ से जाती थी। मै अब पुरानी बस्ती की तरफ से कालेज जाती थी। जब सत्तीबाजार से आती तो बस उस स्कूटर का इंतजार रहता था ।वह नम्बर दिख ही जाता था। जब भी मै अपनी सहेली वीणा से मिलती तो जरुर बताती कि वह नम्बर दिखा था।
मै एक हंसी का पात्र बनते जा रही थी। लोग कहते थे कि मुझे उस नम्बर से प्यार हो गया है। प्यार करने को नम्बर ही मिला था यही सुनने को मिलता था। यह घटना तो सत्तीबाजार तरफ की थी तो उधर की सहेलियों के साथ का मजाक था। दूसरे तरफ की सहेलियां तो सिर्फ सुनी थी देखी तो थी नहीं। मेरा मजाक बनते रहता था। पढ़ाई खतम होने को आ गई। अब बी एड मे मैं रिक्शे से जाती थी समय भी अलग अलग था तो वह नम्बर दिखाई नहीं दिया । मै भी भूलने लगी थी।
शादी के बाद हम लोग आमापारा से होते हुये हिन्दूस्पोर्टिंग मैदान की तरफ जाते थे ।एक दिन मुझे वह नम्बर एक घर के सामने दिखा। मै उसे पलट पलट कर देखती रही ।पति ने पूछा तो मैं कुछ नहीं बोली। इस तरह से क्ई बार हुआ ।स्कूटर की हालत दिन ब दिन खराब होते जा रही थी। उसकी नम्बर प्लेट भी अब जर्जर हो रही थी। लगता था कि उसने सालों से नहाया नहीं है और कुछ खाया भी नहीं है जैसे पानी , पेंट ।हा हा हा।
एक दिन मैने उसे देखा तो देखते रह गई। वह स्कूटर दीवार के सहारे टिक कर खड़ी थी। मन रो उठा यह वही नम्बर है ,यह वही गाड़ी है जो देखते देखते इतनी कमजोर हो गई कि सांस भी नहीं ले पा रही है। मुझे लगने लगा कि इसमें जान है और वह मुझे देख रही है। ऐसी नजरों से देख रही है जैसे कह रही हो तुम्हें मेरा इतना इंतजार रहता था पर आज मै तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ। तुम्ही तो हो जो मुझे देख लेती हो। मालिक ने तो मतलब निकलने पर कचरे की तरह रास्ते पर छोड़ दिया है।
शादी को तीन साल गुजर गये। हर बार आते जाते उस जगह को देखती थी। पति ने एक दिन पूछ ही लिया “इस घर को तुम बार बार क्यों देखती हो ?” मैने तो सोचा भी नहीं था कि वे इतनी बारीकी से मुझे देखते थे। मैने कुछ नहीं तो कह दिया पर सोचने लगी कि मुझे बताना चाहिये अपनी ये बचकानी हरकत जिससे दिल जुड़ चुका है।
एक दिन रात को मैने सारी बातें बताई। वे बहुत हंसने लगे और कहते हैं ये तुम्हारा पहला प्यार है , प्यार करना था तो इंसान से करते एक नम्बर से प्यार किया। अब जब भी उधर जायेंगे तो रूक कर अच्छे से देख लेना। शनिवार को हम लोग माँ के घर गये तो उन्होंने अपनी स्कूटर रोक दी और बोले चलो अच्छे से देख लो मेरा तो उस दिन सही में दिल टूट गया। उसके दोनो तरफ के ढक्कन और नेम प्लेट रखी थी बाकी सब गायब था। वे बोलने लगे कि मैं जाकर पूछता हूँ बाकी शरीर कहां गया। मैने उनका हाथ पकड़ा और चलने का इशारा किया।
वाकई वो लम्हे याद आ रहे थे जब हम सब चहक चहक कर उसे देखते और जोर जोर से बोलते थे 6478 क्या नम्बर है? उसकी जान नही थी पर एक इंसान की तरह उसका अंत हो गया। इंसान के लिये रोने वाले रहते हैं पर एक गाड़ी का जी भरकर उपयोग करने के बाद ऐसे ही रख देते है। मैने इससे एक बात समझी कि जो प्यारी चीज खराब हो जाये उसे सहेज कर रखो वरना तुरंत कबाड़ी को दे दो कम से कम उसका स्वरुप तो बदल जायेगा ।कुछ नई चीजें बन जायेगी एक नया जीवन मिल जायेगा।
●●●●● ●●●●●