■मुंशी प्रेमचंद की कहानियों की कृतियों पर आधारित आठ कविताएं.
-डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’.
【 कोरबा-छत्तीसगढ़ 】
1.बाल विवाह
बाल विवाह का दंश
झेल रही सुभागी को
आजतक
न कोई सूरज मिला
न सज्जन सिंह
विधवा होने का
ख़िताब लेकर
घूम रही है
2. उत्पीड़न
गाँवों में अब भी
कई जोखू
प्यासे मरते हैं
कोई निकलता नहीं
पानी के लिए
बरसों से ख़ुद
गंगी झेल रही है
उत्पीड़न की मार
3. वृद्धाश्रम
हामिद की आँखों में
आते नहीं हैं आँसू
बूढ़ी दादी अमीना
विलख रही है
वृद्धाश्रम में
4. मज़बूरी
घीसू – माधव के होते
बुधिया खटती है
साहूकारों के घर में
रोज़ मरा करती है
बच्चों की ख़ातिर
नये कफ़न के साथ
नयी उम्मीदें लेकर
5. किसान आंदोलन
अपने हक़ की ख़ातिर
होरी सड़कों पर है
महाजनी सभ्यता का
करने अंत
अकेले धनिया बिन
6. गठबंधन
सत्ता सुख की ख़ातिर
होता है गठबंधन
अब अलगू-जुम्मन के बीच
भरी सभा में
कुर्सी हथियाने का सौदा
आम बात है
7. बंधुआ मज़दूर
पेट भरा न न्याय मिला
मिली नहीं सद्गति
केवल मूल का सूद
चूकाते रहे उम्रभर
8. भूख
जब तपता है
पेट में सूरज
तब भूख से व्याकुल
संध्या को रोटी
चाँद नज़र आती है
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