■कविता आसपास : ■छत्तीसगढ़ राज्य में आईपीएस अधिकारी शशि मोहन सिंह.
[ ●आज़ हम अपने वेबसाइट वेब पोर्टल में छत्तीसगढ़ प्रदेश में आईपीएस अधिकारी शशि मोहन सिंह की कविता ‘जल है तो कल है’,अपने पाठकों के लिए दे रहे हैं. ●अमूनन लोगों के मन में ये बात आती है कि पुलिस विभाग में कार्यरत अधिकारी रौबदार और कड़क मिज़ाज वाले होते हैं, मगर इसके विपरीत खूबसूरत सूरत और सीरत के धनी शशि मोहन सिंह कवि ह्र्दयतम हैं. ●उपलब्धि-कानून के विषय पर शॉर्ट फिल्म का लेखन और निर्देशन. छत्तीसगढ़ी और भोजपुरी फ़िल्म में अभिनय. अर्णव प्रकाशन से साझा संग्रह ‘काव्य पयोधि’ में कविता प्रकाशित. अर्णव प्रकाशन द्वारा ‘काव्य श्री अर्णव सम्मान’ से सम्मानित. -संपादक ]
●जल है तो कल है.
-शशि मोहन सिंह.
[ जगदलपुर-छत्तीसगढ़ ]
मेरे कंधे पर चिपका है
एक नन्हा सा बच्चा
बेफिक्र
छत की मुंडेर पर
एक चिड़िया फड़फड़ाती है
पानी की तलाश में
मैं करता हूं महसूस
प्यासे कंठ की
तीव्र अनुभूति को
एक बेबस
थपकी देते बच्चे की पीठ पर
सिहर जाता हूँ मैं
इस संकट की आहट में !
जो दबे पांव घुस रही है
मेरे ज़ेहन में
मैं बच्चे के भविष्य को
पढ़ रहा हूँ
चिड़िया के
पंख की फड़फड़ाहट में !
हाँ
इस संकट की आहट में !
मेरे माथे पर
पसीने की शक़्ल में
उभरती है
एक भयावह चिंता
और आँखों में एक वीरानी
सूनी आँखों को तलाश है
जल की
कियोंकि मैं एक पिता हूं
मुझे सचमुच चिंता है
आने वाले कल की.
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