■कविता आसपास : ■उज्ज्वल प्रसन्नो.
●नया देश बनाना है
-उज्ज्वल प्रसन्नो
[ भिलाई-छत्तीसगढ़ ]
आव्हान है यह मेरा नया देश बनाना है।
श्रम से,लगन से भव्य नया देश बनाना है।।
तन, मन, धन से सिंचित कर्म हो मेरा।
उत्कृष्ट राष्ट्र निर्माण निरंतर धर्म हो मेरा।।
नम्र प्रार्थना है आलोकित हो जीवन पथ मेरा।
शुभ प्रकाश से सत्य के नए सपने सजाना है।।
नैतिकता से जन-जन का विश्वास जगाना है।
स्वच्छ दृष्टि करुणा, दया का हृदय अपनाना है।।
स्वास्थ्य,स्वच्छता,व मित्रता की मज़बूत बुनियाद पर।
उत्तम विश्व गुरु बनने पुरज़ोर आवाज़ लगाना है।।
अंतर्राष्ट्रीय पटल पर श्रेष्ठता से सतत् साख बढ़ाना है।
गुणवत्ता आत्मसात कर जग शिरोमणि बन जाना है।।
विज्ञान प्रौद्योगिकी में महारथी हम,भारत महान बनाना है।
अंतरिक्ष अभियान में सफल हो ज्ञान परचम फहराना है।।
हौसलों से बुलंद वीर,जवानों से राष्ट्र शौर्य सजाना है।
तेजोमय आभा से उत्कृष्ट राष्ट्र गौरव बढ़ाना है।।
अन्न का कटोरा देश मेरा, उन्नत कृषि अपनाना है।
शिक्षा,तकनीक से समृद्ध भारतीय कृषक बनाना है।।
विश्व शांति के दूत हम अमन के गीत सुनाना है।
दुख पीड़ा में सभों के संगी, सखा, मीत बन जाना है।।
श्रद्धा से,प्रेम से, संवेदना भरा आचरण अपनाना है।
विजयी हों हम संस्कारो के रण में यह भाव जगाना है।।
मुस्कुराते चेहरों को सुमधुर वंदन गान बनाना है।
हर काम हो मेरा देश के नाम, सुंदर नया देश बनाना है।।
●कवि संपर्क-
●94241 22246
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