■तीन कविताएं : डॉ. नीलकंठ देवांगन.
[ ●डॉ. नीलकंठ देवांगन ग्राम-शिवधाम कोडिया,नंदिनी, जिला-दुर्ग,छत्तीसगढ़ से हैं. ●प्रकाशित पुस्तकें-‘ज्योति कलश’,’अमृतधारा’,’सोन चिरैया’,’सरग निसैनी,’पंचामृत’. ●कई सम्मानों से सम्मानित डॉ. नीलकंठ देवांगन की ये पहली रचना ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ में प्रकाशित हो रही है. ●कैसी लगी लिखें. -संपादक ]
♀ कोरोना का कहर
कोरोना का खौफ है भारी
उसका प्रहार भी है जारी
कल किसी की थी बारी
आज किसी की है बारी
जद्दोजेहद में है मानव जिंदगी
इस पर चल रही सियासत भारी
मिल बैठ निकालें कोई समाधान
किसी को नहीं सोच साकारी
बड़े बड़े खोखले वादे दिखे
जमीनी पड़ताल में अंतर भारी
क्यों और कैसे होता ये
तय तो हो किसी की जिम्मेवारी
बेड आक्सीजन दवाई के लिए
चारों ओर है मारामारी
ऐसे संकट की विकट घड़ी में
स्वार्थ लोलुप कर रहे कालाबाजारी
साँसें थम रहीं सिलिंडर नहीं
जमाखोरों के यहाँ बेशुमारी
कई गुना दामों में बेच
चला रहे अपनी दुकान दारी
जीवन रक्षक रेमडेसिवीर
मुंह मांगी दामों में लेने की लाचारी
सेवा सहयोग की भावना नहीं
तिजौरी भरने की तिकड़म जारी
कोई इंजेक्शन नदी में फेंक रहा
कोई बेच रहा सिलिंडर सड़क किनारी
बेड वेंटिलेटर के लिए मोल तोल
इधर जान बचाने कर रहे गुहारी
शमशान में जगह नहीं
लाशों की हो रही लंबी इंतजारी
अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं
फेंक रहे लाशें नदी किनारी
मौत का सिलसिला थम नहीं रहा
ग्राफ बढ़ता जा रहा प्रलयंकारी
ऐसे में जवाब देह जवाबदारी छोड़
नकाब ओढ़ कर रहे गद्दारी
मौत के सौदागरों का
कब तक छिपेगी गुनाहगारी
सलाखों के पीछे होंगे
जल्द होगी उनकी गिरफ्तारी
वक्त उन्हें खुद सजा देगा
भोगना भोगेंगे मौत कारी
कर्म फल अविनाशी होता
ऊपर वाला है न्यायकारी
कब थमेगा ये महामारी
किसी को नहीं सही जानकारी
डॉक्टर वैज्ञानिक ज्योतिर्विद्
बताने में है सबकी लाचारी
वायरस अपना शक्ल बदल रहा
हमला करने में है बेकरारी
अदृश्य दुश्मन है यह
कैसे करें इससे आँखें चारी
सुरक्षा के नियमों का करें पालन
पहनें मास्क बना के रखें दो गज दूरी
सेनेटाइज करें धोएं हाथ बार बार
गाइड लाइन का पालन है जरूरी
भीड़ भाड़ में जाने से बचें
यदि जाना जरूरी तो सावधानी जरूरी
रहें परिवार बीच अपनों के संग
हँसते खेलते बनाके के दूरी
अपने से ही करें उपाय उपचार
जान तो है सबको प्यारी
कसरत योग प्राणायाम को
दिनचर्या में करें शुमारी
जीवन का मोल समझें
रहें सजग रखें ख़बरदारी
बरतें पूरी ऐतिहात
सुरक्षा की करें अच्छी तैयारी
आज भी हैं कई मसीहा देवदूत
फरिश्ता सच्चे दिल के सेवाधारी
अपनी जान की परवाह न कर
निभा रहे धर्म पूरी ईमान दारी
देने का सुख वे ही जानें
जरूरत मंदों की कर रहे तीमारदारी
जीवन किसी की बच जाय
कर रहे ऐसी सेवा सुखकारी
पियें काढा तुलसी अदरक
दालचीनी लौंग मरीच वाली
इम्यूनिटी बढ़ाने वाली
भोजन करें पौष्टिक शाकाहारी
अपने लिए तो सब जीते हैं
बनें दूसरों के शुभ चिंतक हितकारी
जिओ और जीने दो
इसी में है समझदारी होशियारी
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♀ यह भी तो जिंदगी है
मोती की बाती बन
गलना
प्रीति के अंगारों में
जलना
हृदय के दर्द को
सहना
भी तो जिंदगी है
लाखों संवेदनावों को
रोकना
हजारों ख्वाहिशों को
कुचलना
अनगिनत सपनों में
झूलना
भी तो जिंदगी है
जज्बातों के दरवाजे पर
ठिठकना
दर्द के आईने में
सिसकना
भावनावों के बलि में
चढ़ना
भी तो जिंदगी है
गम न हो तो खुशी की
कीमत ही क्या
सितम न हो तो प्यार की
कीमत ही क्या
अतीत की बातों को
भूलना
वर्तमान के धरातल में
जीना
भविष्य के ख्वाबों को
संजोना
भी तो जिंदगी है
पुरानों से मोह
छूटना
अंजानों से नाते
जुड़ना
नयों से दिल
मिलना
भी तो जिंदगी है
सब विस्मृत हों पर रहे
अणु सम
स्नेह बिन्दु स्मरण
सब अदृश्य हों पर रहे
धुंध सम
अल्पांश स्मृति अंतःकरण
उच्च आकांच्छाओं को
पाना
उच्च आदर्शों को
लाना
स्वाभिमान में
जीना
भी तो जिंदगी है
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♀ आस किरण
वर्षों के उदास अंधकार
के बाद
आशा का प्रकाश ले
स्वर्णिम प्रभात है आया
उनींदी मौन प्रतीक्षा
के बाद
खुशियों का सौगात ले
स्वप्निल हालात है आया
जंग छिड़ा शोषण के खिलाफ
जन जागृति है आई
सर्वांगीण विकास का सपना
नव उम्मीदी जगाई
शदियों से शोषित मानव के
अभिशप्त दोष को दूर करने
मुक्ति का संदेश ले
जागृति आल्हाद है आया
मील का पत्थर बनेगी
गरीबों के उद्धार की योजनाएं
अरमानों के फूल खिलेंगे
पूरी होंगी संचित कामनाएं
श्रृंगार करेगी धरती
पहन हरित परिधान
भूखे पेट को भोजन
मिलेगा हर हाथ को काम
देखेगी अब दुनिया
प्रगति की छूती शिखर
सबका जीवन और जीवन स्तर
निश्चित हो जायेंगे निखर
विवश नहीं अब कोई होगा
हर कोई होंगे मुखर
तब्दीली हर क्षेत्र में होगी
दृष्टि पड़ेगी भी जिधर
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