■कविता आसपास : ■अनंत थवाईत.
●मैं चौराहे का आदमी
-अनंत थवाईत
[ चाम्पा-छत्तीसगढ़ ]
कभी बारात कभी शव यात्रा
कभी रैली कभी धरना प्रदर्शन
कभी धार्मिक शोभायात्रा
कभी मनचलों की छींटाकसीं
कभी पुलिस को सीटी बजाते
चौराहे पर ही देखता रहता हूं
क्योंकि मैं चौराहे का आदमी हूं
किसी को धर्म के नाम पर
किसी को मजहब के नाम पर
किसी को रंगदारी के नाम पर
चंदा का धंधा करते हुए देखता हूं
चौराहे पर ही किसी की अवनति
तो किसी की उन्नति होते देखता हूं
क्योंकि मै चौराहे का आदमी हूं
रास्ता भटके लोग मेरे पास आते हैं
मंजिल का पता पूछते है चले जाते हैं
कई परिचित भी अपरिचित बनकर
मुंह फेर कर आते जाते रहते है
लोगों के इस बदलते रंग को
मैं अच्छी तरह देखता रहता हूं
क्योंकि मैं चौराहे का आदमी हूं
कभी गांधीजी कभी सुभाष
कभी भगत सिंह ,चंद्रशेखर आजाद
कभी विवेकानंद कभी अंबेडकर
और न जाने कितने महापुरुषों की
जयंती,पुण्यतिथि के कार्यक्रमों को
चौराहे पर होते देखता रहता हूं
क्योंकि मैं चौराहे का आदमी हूं
बड़े बड़े नेताओं और विचारकों के
भाषण सुनता हूं गुनता हूं
लेकिन किसी एक के
रास्ते पे चल नहीं पाता हूं
चौराहे पर ही डेरा डाले
चौतरफा विचारों मे उलझा रहता हूं
क्योंकि मैं चौराहे का आदमी हूं
[ ●जिला जांजगीर-चापा,छत्तीसगढ़ के अनंत थवाईत माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, भोपाल से ग्रामीण पाठ्यक्रम की परीक्षा उतीर्ण के साथ लेखन से जुड़े हैं. ●दैनिक भास्कर, पत्रिका, नवभारत, देशबंधु, हरिभूमि, स्वदेश, तरुण छत्तीसगढ़, इवनिंग टाइम्स, संवाद साधना, मूलमंत्र, नवीन कदम,मुक्ता में रचनाएं प्रकाशित. ●आकाशवाणी बिलासपुर से भी प्रसारण. ●संग्रह- ‘धूप छांव’ एवं ‘यादों का उपवन’ कविता संग्रह. ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ के लिए अनंत थवाईत की पहली कविता पाठकों के लिए. ●कैसी लगी लिखें. -संपादक ]
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