■कविता आसपास : ■डॉ. शिवसेन जैन ‘संघर्ष’.
●विसंगति
-डॉ. शिवसेन जैन ‘संघर्ष’
[ शहडोल-मध्यप्रदेश ]
किसी चिकित्सालय में दवा है
तो चिकित्सक नहीं है
किसी चिकित्सालय में चिकित्सक है / तो दवा नहीं है
किसी चिकित्सालय में दवा व
चिकित्सक दोनों ही है
लेकिन परिचारक नहीं है
किसी चिकित्सालय में तीनों ही है
लेकिन स्वच्छता सेवक नहीं है
ऐसी आदमखोर व्यवस्था में
हम सब कर रहे है
सर्वे भवन्तु की कामना
और पूज रहे है / उस धन्वंतरि
के चित्र को जिस ने चिकित्सा हेतु चार पाद व सौलह कलायें
उस युग में बताई थी
जिस युग में आज की तरह
न तो आज के युग जैसी
प्रयोगशालायें थी न थे
वातानुकूलित कक्ष
फिर भी हम ले रहे है / आज के
विज्ञान का पक्ष / व उन्हीं के
वंशज अपने ही विज्ञान को
लगा रहे है चूना
जिस मरीज को शहडोल में
ठीक होना चाहिये था
उसे भगा रहे है पूना
ठीक इसी तरह / कहीं
विद्यालय के भवन है
तो शिक्षक नहीं है
कहीं शिक्षक है तो विद्यालय में
शोचालय नहीं हैं
कहीँ विद्यालय व शोचालय
दोनों है तो खेल के मैदान नहीं है
यदि खेल के मैदान हैं तो
खेल का सामान नहीं है /
कहीं सब कुछ है तो ईमान नहीं है / आखिर धरती माँ भी
इस आदमखोर व्यवस्था का
कब तक बोझ उठायेगी ।
ऊपर से तुम लिये फिरते है
परमाणु शस्त्रों का जखीरा
कहीं तुम्हारा ही /
न बज जाये मंजीरा ।
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