■75 भारत महोत्सव पर विशेष : ■कमल सिंह.
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●आज़ादी के परवाने.
-कमल सिंह.
[ अलवर-राजस्थान ]
जलते – तपते शोलो ने
आजाद फ़िज़ा का बिगुल बजाया था ।
आजादी की जद में आकर
लोहा से लोहा टकराया था ।।
अलख जगी हर मन मे थी
जन – जन ने पैगाम दिया ।
नही सहेंगे निशा गुलामी
स्वाधीन भारत का अंजाम दिया ।।
रण प्रांगण में रहे चमकते
दुश्मन ने मुँह की खाई थी ।
सहस्रो वार सहे तन पर
तब जाकर आजादी पाई थी ।।
कण-कण मिट्टी का याद दिलाए
आजादी के परवानों की ।
इतिहास के स्वर्ण पृष्ठों पर
कहानी झलकेगी बलिदानों की ।।
अखंड भारत की वेदी में
निजइच्छा को होम किया ।
देशभक्ति का परिचय देकर
पत्थर दिल भी मोम किया ।।
सर पर अपने कफन बाँधकर
विजय पताका फहराई थी ।
खुद लहरों से लड़कर
तट पर पतवार थमाई थी ।।
आओ मिलकर सृजन करे हम
एक नए परिवार का ।
यह देश सदा ऋणि रहेगा
उन वीरों के उपकार का ।।
●कवि संपर्क-
●96676 16433
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