■कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष : ■डॉ. मीता अग्रवाल ‘मधुर’.
♀ दोहावली : कान्हा
♀ डॉ. मीता अग्रवाल ‘मधुर’
♀ रायपुर, छत्तीसगढ़
जनमिस कारागार मा,किशन जगत के भूप।
संसो मा दाई ददा,निरख अलौकिक रूप ।
ले वसुदेव चलय उहाँ,जिहाँ नंद के गाँव।
उफनत जमुना पाँव छू,शेष करें हे छाँव ।।
बटय बधाई नंद घर,बरसत हे आनंद।
नंद लाल जसुमति मया,बरनत हे मति मंद।
हाथी घोड़ा पालकी, कान्हा के जयकार।
गाँव भरें बाँटत हवय,हार रत्न उपहार ।।
दूध-दही अउ लेवना,सब लइका हर खाय।
मथुरा काबर भेजबो,कान्हा करय उपाय ।।
मनखे जिनगी मा रहय, रंग सबो उल्लास ।
संदेशा दिन कृष्ण हा,वृन्दा वन मा रास।।
रकसा मन के आघु मा,मनखे झन हो दीन।
कान्हा करथे सामना,असुर सबो बलहीन।।
दुष्ट दलन कर दंड दे, आर्य सभा के धर्म ।
कंस ममा ला मारना,धर्म कहें सत्कर्म ।।
लइका अबला नार तन, करथे अत्याचार ।
सब जुग मा कान्हा करय,अइसन नर संहार ।।
कष्ट ददा दाई हरय, अइसन श्री गोपाल ।
राजमुकुट पहिना करें, तिलक नना के भाल।।
पुरी द्वारिका मा बसय,दाऊ भैया साथ।
राज धर्म हित मा करिन,हमरे दीनानाथ।।
वसन हीन शोभय नही,नारी दाई मान।
चीर-हरण बाढत गयें, देत जगत ला ज्ञान ।।
पापी दुर्योधन बढ़य, दिन-दिन अत्याचार ।
पार्थ-सारथी हा करिन,वोखर भी उपचार ।।
कृष्ण महाभारत कथा, चरित देत आभास।
हवे महा नायक सदा, भगवद् -गीता खास।।
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