■हरतालिका तीज पर विशेष : ■डॉ. नीलकंठ देवांगन.
♀ शिवजी का वरदान बनो तुम.
♀ डॉ. नीलकंठ देवांगन.
♀ शिवधाम-कोडिया,दुर्ग.
शिव जी का वरदान बनो तुम
नव युग की पहचान बनो तुम
शक्ति रूपा नारी से,
समस्त सृष्टि है निर्मित
वेद पुराण सदग्रंथों में,
महिमा जिसका वर्णित
विश्व को पहचान दी,
निज कर्म से निज धर्म से
मुकुट मणि मान हुई,
धरा में निज सत्कर्म से
सर्वस्व का यश गान बनो तुम
नव युग की पहचान बनो तुम
पार्वती ने शिव को पाने,
किया था हरतालिका व्रत
सहस्त्रों वर्ष निर्जला निराहार रह,
किया था कठिन तप
पूर्ण समर्पित हो गयीं,
शिव जी को वरण करने
शिव जी भी आश्वस्त हुए,
गिरिजा को ग्रहण करने
वैसी आशावान बनो तुम
नव युग की पहचान बनो तुम
कुंवारी कन्यायें रखती थीं,
पहले हरतालिका व्रत
योग्य पति पाने करती थीं,
शिव जी का कठिन तप
जीवन साथी की तलाश,
होती सबको जीवन में
मनवांछित पति की तमन्ना,
होती नारी को जीवन में
आत्म बल निश्चयवान बनो तुम
नव युग की पहचान बनो तुम
समय परिवर्तन के साथ,
सभी औरतें करती हैं ये तप
पति के मंगल जीवन के लिए,
स्त्रियां रखती हैं निर्जला व्रत
हर जन्म में योग्य पति पाऊं,
शिव जी मुझको दो वरदान
प्रति पल पति का प्यार पाऊं,
शिव जी ऐसा दो वरदान
शिव जी का वरदान बनो तुम
नव युग की पहचान बनो तुम
तीज से पहले पोरा आता,
वृषभ देव की होती पूजा
धर्मानुकूल आचरण करने,
वृषभ याने धर्म से और न दूजा
कच्चे घट का क्या भरोसा,
पोरा पटक दोहराते हैं
जो नश्वर है अंत है उसका,
शास्वत सत्य बताते हैं
दोनों कुल की शान बनो तुम
नव युग की पहचान बनो तुम
शुभ कामना दुआ है मेरी,
अचल रहे अहिवात
सिंदूरी मांग में भरी रहे,
अमर रहे सुहाग
पति की मधु मुस्कान बनो तुम
नव युग की पहचान बनो तुम
शिव जी का वरदान बनो तुम
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