■कविता आसपास : ■इंदु सिंह ‘इंदुश्री’.
[ ●सुश्री इंदु सिंह ‘इंदुश्री’ नरसिंहपुर मध्यप्रदेश से हैं. ●प्रकाशित संग्रह- ‘सारांश समय का'[साझा काव्य संग्रह], ‘कविता अनवरत-3[साझा काव्य संग्रह], ‘काव्यशाला’ [संयुक्त काव्य संकलन], ‘साज़ सा रंग’ [साझा काव्य संग्रह], ‘सिर्फ तुम’ [साझा कहानी संग्रह], ‘भावों की हाला’ [संयुक्त काव्य संकलन], ‘100 कदम’,’शब्दों का प्याला’,’आरंभ उद्धोष 21वीं सदी का’,’जिंदगी जिंदाबाद’ और देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और समाचार-पत्रों में कविता/कहानी/आलेख का नियमित रूप से प्रकाशन. ●’इंदुश्री’ कई साहित्यिक संगठनों द्वारा सम्मानित की जा चुकी हैं. ●’इंदुश्री’ अपने बारे में कहती हैं-बालपन से ही साहित्यिक कृतियों के प्रति एक रुझान, एक सहज आकर्षण महसूस हुआ जिसने हमेशा अपनी ओर खिंचा. उन्हें पढ़ते-पढ़ते पता ही नहीं चला कि कब रंगों में अल्फ़ाज़ घुल गये. जब कभी सफों पर कुछ भी लिखा तो पाया कि वो कभी किसी ‘कविता’ में ढल गये तो कभी कोई ‘कहानी’ बयां कर गये… ●’इंदुश्री’ कहती हैं – ‘शौकिया तौर पर किया गया लेखन जीने की वजह ही बन गया’.
●’छत्तीसगढ़ आसपास’ के लिए पहली कविता पाठकों के लिए प्रस्तुत है. – संपादक ]
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♀ इंदु सिंह ‘इंदुश्री’.
[ नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश ]
उफ,
कितनी गर्मी है
सहन ही नहीं हो रही
सूरज देखो आग बरसा रहा है
अभी ये हाल तो सोचो,
अगले बरस न जाने क्या होगा?
…..
जिसे देखो वही कहता
यही जुमले मगर,
वजह इसके पीछे जो छिपी
उसको नहीं समझता
खुद की सुविधाओं से कोई
समझौता नहीं
एसी, फ्रिज के बिना गुजारा नहीं
हर आराम का सामान
जीने को बेहद जरूरी लगता लेकिन,
जीवन होता सबसे अनमोल
इसे भूल जाता
खुद को कृत्रिमता से ढंक लिया
प्रकृति से नाता तोड़कर
अप्राकृतिक वस्तुओं का जमघट
घर पर लगा लिया ।
…..
उसके बाद
बढ़ते तापमान
और, ग्लोबल वार्मिंग का रोना रोता
सूरज और हमारे मध्य
ओजोन परत एक सुरक्षा कवच
जिसमें दिनों-दिन
लापरवाहियों से हमारी
सुराख होता जा रहा
सूर्य का प्रकोप बढ़ता जा रहा
उसे बचाने करना होगा उपाय जल्द
अन्यथा नहीं बच सकेंगे हम
विश्व ओजोन परत सरंक्षण दिवस
देता यही चेतावनी
अब भी न सम्भले अगर तो
बहुत भारी कीमत पड़ेगी चुकानी ।।
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