■नव गीत : ■सवि शर्मा.
[ देहरादून की सावित्री शर्मा उप नाम सवि शर्मा रचनात्मक लेखन में सक्रिय हैं. सवि शर्मा की 14 साझा संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं. ‘जिंदगी के पलाश’ एकल काव्य संग्रह है. देश की कई पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर छप रही हैं सवि जी. 4 साझा संग्रह और एक एकल काव्य संग्रह ‘झाँझर’ प्रकाशाधीन है. ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ में सवि शर्मा की पहली कविता ‘ओ कारे बदरा’ प्रकाशित की जा रही है, कैसी लगी, अवश्य लिखें- -संपादक ]
♀ ओ कारे बदरा
♀ सवि शर्मा
[ देहरादून ]
घनघोर घिरी बदरा ओ सखी
,कंत अब तक ना आए हैं
तड़पे मन मेरा मिलने को ,
नैनन आँसू छलकाए है
बीते ना रतियाँ कारी कारी
हुई असह चाँदनी मतवारी
सुन ओ बदरा क्यूँ आया तू
मोरा कंत ना अब तक आए है
तट पर खड़ी निरखूँ कृष्णा
बांसुरी भी ना दिखाई दे
यमुना भी ठिठकी निहार रही
क्यूँ कंत ना अब तक आए है
बिजुरी पायल बन चमके
अनुक्षण हिय घाव करे
मृतिका से सौंधी महक उठे
साजन क्यूँ तड़पाए है
अम्बर श्यामल चूनर ओढ़े
गगरी में पीयूष ले कर झूमे
तृप्त वसुधा है आज हुई
निष्प्राण जिया मेरा जलाए है
जा रे ओ बदरा कारे जा
पी का संदेश ले आ रे तू
चातक पी कहाँ बोल रहा
बेकल हिया कैसे समझाए है
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