■बचपन आसपास : ■डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’.
3 years ago
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♀ बाल गीत : नाच रही है मिश्का.
♀ डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
[ कोरबा-छत्तीसगढ़ ]
नाच रही है मिश्का लोरी के ताल में
दिखता है अद्भुत कंपन उसकी चाल में
गुस्सा दिखलाती है गुड्डे को फेंककर
हँसती है धीरे से मम्मी को देखकर
पड़ जाता है डिंपल तब उसके गाल में
लाती है फूलों को चुनकर बागान से
चुप हो जाती है वो सुनती है ध्यान से
कूकती है कोयल जब अमिया की डाल में
भा जाता है मन को रुक रुकके बोलना
चुपके से लड्डू के डिब्बे को खोलना
चाँदी का चम्मच ले चाँदी के थाल में
खेलती है कृष्ण से राधा के रूप में
तितलियाँ पकड़ती है जाकर वो धूप में
बनवाती है बेनी घुँघराले बाल में
●कवि संपर्क-
●94241 41875
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