■नवरात्र पर विशेष : ■रितु शर्मा.
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♀ ख़ुश हो जाती.
♀ रितु शर्मा.
[ दिल्ली ]
पर्वत पर बैठी माँ
वरदान दे रही
शेर पर बैठी माँ
वरदान दे रही
लाल चूनर सोहें
माँ प्यारी लग रही
सारा श्रृंगार है
माँ ख़ुश हो रही
सबकी सुनती है माँ
बिगड़ी बनाती माँ
आओ माँ को मनाएं
प्रेम से शीश झुकायें
माँ पान खिलाओ न
माँ को हलुआ खिलाओ न
आओ माँ स्तुति करें
प्रेम से गीत गाएं
नौ कन्याओं को पूजें
माँ को हम ख़ुश करें
दुश्मन को माँ पछाड़ती
दुश्मन को माँ संहारती
सब देवों की प्रिय माँ
घर घर में पूज्य माँ
नारी का अपमान करे
वह जगदम्बा को रुष्ट करे
नौ दिन की कितनी बहार है
मुझे दुर्गा माँ से बड़ी आस है
जय जय माँ जय भवानी
माँ भावों से माँ ख़ुश हो जाती
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