■छठ पर्व पर विशेष. ■डॉ. नीलकंठ देवांगन.
♀ संतान सुख सेहत अउ समरिद्धि के वरत-छठ पूजा.
♀ डॉ. नीलकंठ देवांगन.
[ शिवधाम कोडिया,जिला-दुर्ग,छ. ग. ]
सुरुज के अराधना के संतानमहा परब
छठी मैया के पूजा के खास परब
शुद्धता पवित्रता के पवित्र परब
संतान सुख पाय के तपस्या परब
कातिक अंजोरी चवुत ले साते तक
चार दिन के होथे वरत पूजा विधान
सुरुज के उपासना अराधना अउ अर्घ्य
सुरुज-बहिनी छठी के वरत अनुष्ठान
पहिली दिन ‘नहाय खाय’ ले शुरुआत
सबेरे स्नान सुरुज ल अर्घ्य संकलप
छठी मइया ल आह्वान आमंत्रन
परार्थना- मां शक्ति दे वरत पूरन हो
दूसर दिन ‘खरना’ याने शुद्धिकरन
नवा कपड़ा एक समय सादा भोजन
शुद्ध भाव गुड़ के खीर घी चुपरे रोटी
परसाद अर्पन कर बांटना खाना
तीसर दिन निर्जला वरत 36 घंटा
टोकरी बहंगी मं पकवान पूजा सामान
पीला कपड़ा बांध सिर मं रख घाट जा
पानी मं खड़ा हो ‘डूबत सुरुज ल अर्घ्य’
चौथा दिन भिन्सरहा सूप टोकरी ले
टोकरी मं ताजा फल ठेकुवा नारियल
घाट पर डुबकी लगा जल मं खड़े जप
उये बेरा ‘उवत सुरुज ल अर्घ्य’ दूध से
पानी से निकल परसन्न मन हवन पूजा
वरत के पारना जल काढ़ा परसाद ले
सुरुज ल परनाम करत धन्न मनावत
सुख शांति के कामना करत घर वापसी
ये तिहार मं साफ सफाई के खास ध्यान
घर बाहर थोरको गंदगी नहीं निर्मल मन
परसाद भोजन सामान बर अलग कमरा
अलग साफ बरतन चुलहा सामान नवा
छठ पूजा के बड़ महत्व बड़ लाभ
सौ जग्य के पुन्न बरोबर ये वरत के फल
सुख सौभाग्य बर संतान प्रापत बर
संतान सुख खुशहाली अच्छा सेहत बर
ये वरत के पौरानिक संबंध महत्व
शरधा अउ आस्था ले करे रिहिन
सुरुज के पुत्र करण राम सीता
पांडव पत्नि द्रौपदी राजा प्रियव्रत
पूजा मं गहूं आटा गुड़ के ठेकुवा जरूरी एखर बिना वरत अधूरा
मालपुआ खीर खजूर पकवान
चांवल के लड्डू कसार हलुवा
फल मं केला गन्ना पत्ता सहित
पत्ता समेत मूली हल्दी अदरक
चना दार लौकी के सब्जी नीबू
सेंधा नून पान सुथनी शकरकंदी
छठी मइया के रूप होथे उपासी
मन बुद्धि साफ़ हिरदे निष्पाप
शुद्ध सात्विक निरामिष खानपान
छल छिद्र ले दूर सब सन परेम भाव
समता समानता के प्रतीक परब
सब मिल जुल करथें समूह पूजा
सामूहिक पूजा ले बढ़थे अपनापन
नियम निश्चय निष्ठा के तपस्या पूजा
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