■कविता आसपास. ■जी एल चित्रकूटी.
♀ मैं तुम्हें प्यार करूं…
♀ जी एल चित्रकूटी.
【 ग्राम-बगरेही,पोस्ट-भौंरी,उ.प्र. 】
पंखे की कृत्रिम हवा
वातानुकूलित कमरे की आरामगाह
बाजार की अफरा- तफरी
तथा पूंजीवादी संसार से दूर
जहां इंसान हो पर उसकी होशियारी न हो
बुद्धि का तीखापन
भाव को सताये नहीं
फिर भी विवेकवान हों
जहां हम कुदरत से सीखें
कुदरत की तरह रहें सुंदर, सरल और सहज
चाहता हूं ऐसी जगह
मैं तुम्हें प्यार करूं।
जहां हम बैठे रहें स्वाधीन
कोई न देखे हमें बुरी नज़र से
बिना पैसे के
बिना दुकान के
बिना बनावटी शब्दों के
कोई हमारा स्वागत करे
हृदय की अतल गहराइयों से
चाहता हूं ऐसी जगह
मैं तुम्हें प्यार करूं।
जहां न हो मिनट मिनट की चिंता
न कहीं जल्दी पहुंचने की हड़बड़ाहट
जहां घण्टों बैठे रहें हम सटकर
एक दूसरे से
थम जाए घड़ी का पेंडुलम
शाम हो जाए सुबह से
पर पता न चले
कोयल के गाने में मस्त मगन
रहें हम कृतिमत्ता से दूर
चाहता हूं ऐसी जगह
मैं तुम्हें प्यार करूं।
जहां बैठने से लगे कि हम मरे नहीं हैं
जीवित हैं अभी
हमें महसूस होने लगे कि
इन परोपकारी जीवों की भांति हम भी
दे सकते हैं किसी त्रस्त आदमी को घनी छांव
पिला सकते हैं
बिना पैसे के किसी प्यासे को पानी
मुफ़्त में गा सकते हैं
किसी के लिए जीवनदायी गीत
चाहता हूं ऐसे जगह
मैं तुम्हें प्यार करूं
■कवि संपर्क-
■95191 48866
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