■छेरछेरा पर विशेष छतीसगढ़ी कविता : ओमप्रकाश साहू ‘अंकुर’
3 years ago
837
0
♀ छेरछेरा : हमर दानसीलता ल दरसाथे
♀ ओमप्रकाश साहू ‘अंकुर’
[ सुरगी,राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ ]
धान के कटोरा ,छत्तीसगढ़ ल कहे जाथे.
इहां किसम किसम के, तिहार: मनाय जाथे.
धान कंटा जथे त, बियारा म खरही गांजे जाथे.
धान -पान मिंजा जाथे त, कोठी म ओला धरे जाथे.
त अइसने बेरा म पूस- पुन्नी आथे, लोगन मन नदियाँ अउ तरिया म डूबकी लगाथे.
टोली बना के सब घरो- घर जाथे, छेरिक- छेरा कहिके गजब चिल्लाथे.
खुसी -खुसी लोगन मन, धान ,चँउर, पइसा देय बर हाथ बढ़ाथे.
गिदगिद -गिदगिद सब लइका मन भागथे ,
खोर -गली म अड़बड़ खुस नजर आथे.
माई लोगन मन घलो , दल- बल सहित छेरछेराय ल जाथे.
सुग्घर ढंग ले बहिनी -दाई मन, गोल भांवर म छेरछेरा गीत गाथे.
त अइसने सुग्घर ढंग ले ,छेरछेरा तिहार मनाय जाथे .
ये तिहार ह संगवारी हो, हमर छत्तीसगढ़ के दानसीलता ल दरसाथे.
■कवि संपर्क-
■79746 66840
◆◆◆ ◆◆◆