■अपनी बात-अपनों से : डॉ. सोनाली चक्रवर्ती.
♀ यह कैसा बंद
♀ डॉ. सोनाली चक्रवर्ती
[ भिलाई, जिला-दुर्ग,छत्तीसगढ़ ]
यह कौन लोग हैं जो चाहते हैं कि स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान बंद रहे लेकिन जिम, मॉल,स्विमिंग पूल खुल जाएं
यह कौन लोग हैं जिनको लगता है कि बच्चे दूर दूर बैठकर परीक्षा देंगे तो उनकी जान को खतरा है
लेकिन सिविक सेंटर, सत्यम बेकरी के सामने और मिराज सिनेमा हॉल के पीछे (भयावह रूप से) बिना मास्क की भीड़ में एक सिगरेट को 4 लड़के लड़कियां शेयर करके पीते हुए भी उनको कुछ नहीं होगा
यह कौन लोग हैं जिनको यह बंद स्कूलों के (ताला लगे) गेट देखने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है
लेकिन संडे को बाजार 2:00 बजे तक खुले तो भी दिक्कत है …शाम तक खुलने चाहिए
यह कौन लोग है जिन की सोची समझी साजिश पर नजर नहीं पड़ रही कि जब बाजारों (और हर शै) के खुलने का समय आता है तो कोरोना के केसेस कम होने लगते हैं
लेकिन जिस दिन यह खबर आती है कि कोचिंग संस्थानों को 50% बच्चों के साथ खोलने की अनुमति (बड़ी मुश्किलों से )दी जा रही है उसी दिन से कोरोना के मरीज बढ़ने लगते हैं
आदरणीय माता-पिता,अभिभावकों, पत्रकार दोस्तों, समाज के बुद्धिजीवी सभी से मैं यह करबद्ध प्रार्थना करती हूं कि कुछ उपाय तो सोचना ही पड़ेगा कि सब कुछ बंद करके भी स्कूल कॉलेजों को सुचारू रूप से चलाने के लिए कुछ कदम उठाए जाएं
2 साल में बच्चे कितने पीछे चले गए हैं आप कल्पना भी नहीं कर सकते।
मेरा एक छोटा सा सवाल है यदि स्कूल, कॉलेज ,कोचिंग, ट्यूशन बंद है तो रास्ते में, बाजारों में इतनी युवाओं की भीड़ कैसे हैं ???
कहां जाते हैं सब?
जो कहीं नौकरी नहीं करते, सिर्फ पढ़ते हैं
वैसे तो सेल्फ लॉकडाउन में, बाजारों में एक भी युवा के चेहरे नहीं नजर आने चाहिए लेकिन सिविक सेंटर में नन्हे की दुकान पर भरे पड़े युवा इस सारी बात को झूठला देते हैं कि कोरोनावायरस भीड़ में खड़े होने से और मास्क नहीं पहनने से फैलता है
और आश्चर्य !
ऐसे पोस्ट किसी छात्र की तरफ से क्यों नहीं आते कि अब स्कूल/कॉलेज खोलना चाहिए?
50 पर्सेंट बच्चों के साथ भी स्कूल/कॉलेज दो पारियों में खोला जा सकता है।
(खतरा है…मुझे पता है)
पर इच्छा तो बताए कोई!
पूरी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की नहीं हो सकती ।स्कूलों से जितनी बार सर्वे करवाया जाता है कि क्या अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं ?
“हर बार माता-पिता लिख कर देते हैं – नहीं वह बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं ।उनकी सुरक्षा व जान का खतरा है”
इस बात से मैं सहमत हूं लेकिन फिर वही माता-पिता अपने बच्चों को सिविक सेंटर,जिम,रेस्टोरेंट,मॉल, क्लब,स्नैक्स कॉर्नर, पूल ,मिराज़ के पीछे की दुकानों पर जाने से भी क्यों नहीं रोकते??
वह किसके बच्चे हैं ?
न केवल बच्चों को बल्कि खुद भी इधर उधर जाने से सब को रोके।
कोरोना को पूरी तरह भगा के स्कूल खोलने की दिशा में काम करना चाहिए।
जैसे भी थोड़ी छूट मिलती है।
तुरंत सब ऐसे निकलने लगते हैं माऩो लॉकडाउन सिर्फ सरकारी आदेश है!
और उसके बाद जो कोरोना फैलता जाता है उसे दूसरी लहर, तीसरी लहर कहा जाता है
लेकिन वह लहर हम खुद बनाते हैं यह नहीं देख रहे हैं।
इतने लोगों की जानें चली गई। वह किसी को ख्याल नहीं है
एक सिगरेट को चार लड़के लड़कियों को मैंने पीते देखा। तब किसी के मुंह से कोई कोरोना नहीं फैला ।
चाट,गुपचुप,मोमो की दुकान से नहीं फैलता तो स्कूल से क्योंकर फैलेगा…?
मुझे नहीं पता।
बस यह बंद स्कूल कॉलेजों की गेट मुझसे नहीं देखे जाते
हम कई साल पीछे चले जाएंगे
अभिभावकों को जागना होगा।
■लेखिका संपर्क-
■98261 30569
◆◆◆ ◆◆◆