■रचना आसपास : अशोक ‘अंजुम’ [अशोक कुमार शर्मा]
【 ●अशोक कुमार शर्मा,अशोक ‘अंजुम’ अलीगढ़ से हैं. ‘अभिनव प्रयास’ पत्रिका के सम्पादक हैं. ●’अंजुम’ जी की 25 मौलिक और 38 संपादित पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं. ●कई महत्वपूर्ण पुरस्कार से सम्मानित-विशेष है : ‘नीरज पुरस्कार’,’धर्मयुग पुरस्कार’,’काव्य-वीणा सम्मान’. ●’प्राची’ मासिक पत्रिका ने 2019 में ‘अशोक अंजुम विशेषांक’ प्रकाशित कर सम्मानित किया. ●पर्यावरण को समर्पित पत्रिका ‘हमारी धरती’ के सलाहकार संपादक भी हैं ‘अंजुम’ जी. ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ के लिए पहली रचना पाठकों/विवर्स के लिए प्रस्तुत है- ‘चुनाव के मौसम में तीन व्यंग्य गीत’. – संपादक 】
♀ 1
पूँछ हिला रहे हैं नेताजी!
अशोक अंजुम
ज़ोर समूचा लगा रहे हैं नेताजी!
वोट-वोट बड़बड़ा रहे हैं नेताजी!
गन्दी गलियों में
हर गंदे टोले में,
भर-भर आश्वासन
ले जाते झोले में;
जिनकी बदबू से भौहें चढ़ जाती थीं
उन्हें गले से लगा रहे हैं नेताजी!
चमचों के संग तरह-
तरह का गणित बने,
साथ में चमचे घूम रहे
हैं तने-तने;
जाति-धरम की सबको देकर लॉलीपॉप
बच्चों जैसा मना रहे हैं नेताजी!
खूब हवाई किले
बनाये जाते हैं,
रोज़ अनगिनत जाल
बिछाए जाते हैं;
जहाँ-जहाँ पर मूँछें ऊँची होती थीं
पूँछ वहाँ पर हिला रहे हैं नेताजी!
♀ 2
नेता का जनता गान
अशोक अंजुम
हमको रास नहीं आता है,
तेरा रास रचाना जनता
हम गाते हैं जय-जय कुर्सी,
तू जन-गण-मन गाना जनता
पस्त रहे तू मस्त रहें हम,
घोटालों में व्यस्त रहें हम
तुझे लाख हों रोग हमें क्या,
चरें देश को स्वस्थ रहें हम
तू तो केवल आँख बन्द कर,
हमें वोट दे जाना जनता
तुझको रोना है तू रो ले,
जितना सोना है तू सो ले
अधिकारों की खातिर लेकिन,
कोई अपने होंठ न खोले
तुझे दिखायें सब्ज़बाग़ जब,
तू बस खुश हो जाना जनता!
पगडण्डी से प्यार किए जा,
हर गड़बड़ स्वीकार किए जा,
जो मिल जाए उसमें खुश रह,
यूँ ही जीवन पार किए जा,
तुझे नहीं हक़ कभी बुने तू,
कोई ताना-बाना जनता!
चाहे जी और चाहे मर तू,
जो भी कहें समर्थन कर तू,
सब कुछ सहकर मुस्काती रह,
कभी न करना अगर-मगर तू,
तुझे क़सम है- जोर-जुल्म हो,
मत आवाज़ उठाना जनता!
दिल का हर इक घाव तू सी ले,
हर हालत में हँसकर जी ले,
अगर सहन करना हो मुश्किल,
ठेके पर जा दारू पी ले,
हम जो चाहे राग सुनाएँ,
तू बस ताल मिलाना जनता
हम गाते हैं जय-जय कुर्सी, तू जन-गण-मन गाना जनता
♀ 3
सजन रे झूठ मत बोलो
अशोक अंजुम
‘हमें वोट दो, हमको फिर से रामराज अब लाना है!
सोने की चिड़िया के जैसा भारत हमें बनाना है
नेता के ऐसा कहने पर इक वोटर कुछ यूँ बोला-
‘सजन रे झूठ मत बोलो, ख़ुदा के पास जाना है!’
‘नहीं-नहीं कुछ झूठ नहीं है ये पूरी सच्चाई है,
जनता की सेवा करने को अब सौगंध उठाई है,
केवल अब की बार भाइयो हमें आप इक मौका दो,
केवल अब की बार सदन में आप हमें बस पहुँचा दो,
अब तक केवल कहा किन्तु करके इस बार दिखाना है!’
नेता के ऐसा कहने पर इक वोटर कुछ यूँ बोला-
‘सजन रे झूठ मत बोलो, ख़ुदा के पास जाना है!’
‘नहीं-नहीं इस बार हर इक सपना हमको सच करना है,
जनता के हित की ख़ातिर हर हद से हमें गुजरना है,
हर भूखे को रोटी होगी, छत होगी, कपड़े होंगे,
हर शोषित को न्याय मिलेगा, अब न कहीं लफड़े होंगे,
अब विकास का अपने मन में उज्ज्वल ताना-बाना है!’
नेता के ऐसा कहने पर इक वोटर कुछ यूँ बोला-
‘सजन रे झूठ मत बोलो, ख़ुदा के पास जाना है!’
‘नहीं-नहीं इस बार हमें सड़कों के जाल बिछाने हैं
गाँव-गाँव में जाकर बिजली के खंभे गड़वाने हैं,
कोई अनपढ़ नहीं रहेगा, सबको शिक्षा देंगे हम,
जन-जन में खुशहाल व्यवस्था अबकी बार करेंगे हम,
अब भारत का दुनिया भर में जमकर रंग जमाना है !’
नेता के ऐसा कहने पर इक वोटर कुछ यूँ बोला-
‘सजन रे झूठ मत बोलो, ख़ुदा के पास जाना है!’
••••
■कवि संपर्क-
■92587 79744
■■■ ■■■