■गणतंत्र दिवस पर विशेष : डॉ. नीलकंठ देवांगन.
♀ गणतंत्र का अभिनंदन
♀ डॉ. नीलकंठ देवांगन
[ शिवधाम कोडिया,जिला-दुर्ग,छत्तीसगढ़ ]
गणतंत्र का महापर्व , अभिनंदन इसका करना है
देश हित में काम आयें,
इस विधि हमेंं संवरना है
सिंधु जिसका चरण छूकर,
कर रहा यशगान है
ज्ञान राशि से मंडित ऋषि मुनि,
कर रहा गुणगान है
मातृ मंदिर के बन पुजारी,
वन्दन इसका करना है
ध्येय प्रतिमा को हृदय में,
धारण हमको करना है
शस्य श्यामल वक्ष जिसका,
मौन सेवा का व्रती
धर्म किरणों को प्रसारित, साधना रत है तपी
अपने हाथों खुद हमीं,
निज भाग्य अपना गढ़ना है
अपने खूं से सींच बंजर को,
हरित वन करना है
धवल हिममय भाल जिसका,
साधना का धाम है
ध्येय को साक्षात् करने,
संकल्पित मन प्राण है
त्याग की बन मूर्ति,
विश्व का मार्गदर्शन करना है
युग को जरूरत आ पड़ी तो,
जीवन अर्पण करना है
ज्ञान की मंदाकिनी और,
है रत्नों की खान भी
मांग उठी कुर्बानी तो,
दे दी अपनी जान भी
श्वास उसे समर्पित,
तन मन भी समर्पित करना है
चेतना के दिव्य पथ पर,
पग अपना भी धरना है
संकल्प लें हम आज और,
याद करें बलिदानों को
एक हैं हम एक रहेंगे,
सीख दें नादानों को
भाई भाई हैं हम सभी और,
नारी मां या बहना है
प्रेम से हम रहें हिलमिल,
यही सबसे कहना है
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