■5 फरवरी बसंत पंचमी पर तारकनाथ चौधुरी की एक कविता.
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♀ वसंतागमन
♀ तारकनाथ चौधुरी
[ चरोदा-भिलाई, जिला-दुर्ग,छ. ग. ]
मदिरालय लग रहा,
बौराया आम्र-कुंज।
अग्नि का भ्रम जगाये,
रक्तिम पलाश पुंज।।
वीणावादिनी बस गईं,
कोयल के कंठ में।
संभवतः कूक रही
इसलिए घमंड में।।
तपिश झाँक रही देखो,
क्षिति के वातायन से।
दिक्-दिक् है उल्लासित,
शीत के पलायन से।।
पीत वस्त्र पहन सरसों,
झूम रही हर्ष से।
उन्मादित रोम-रोम,
प्रिय वसंत के स्पर्श से।।
वासंती झोंकों में,
डोल रहे किसलय नव।
फूल लदी डालियाँ,
सहेज रहीं भ्रमर-रव।।
■कवि संपर्क-
■83494 08210
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