■बसंत पंचमी पर विशेष : गीता विश्वकर्मा ‘नेह’
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♀ सरस्वती वंदन, हरिगीतिका छंद
♀ गीता विश्वकर्मा ‘नेह’
[ बालको नगर कोरबा,छत्तीसगढ़ ]
वंदन करूँ, अर्चन करूँ,माँ शारदे वरदान दे,
स्वर,ताल,अनहद-नाद,लय मृदु-वाक्पटु मधु गान दे ।
शुभ ग्रंथ अंकुश हाथ में और अंक में वीणा लिए,
शुचि शशि बदन,धवला-वसन,वरदायिनी मुद्रा लिए,
कमलासिनी,हंसासिनी,तमनाशिनी शुचि ज्ञान दे ।
प्रज्ञा-प्रदीप्ता,कुमुदिप्रोक्ता,बुद्धि दात्री ब्राह्मिणी,
सुरपूजिता,हियसेविता,वागीश्वरी सद्भाषिणी,
हे चंद्रिका,करुणामयी, षटचेतना संज्ञान दे ।
हे शब्द-शारद,इर्शिता,हे वाङ्गयी,गुण सर्जिका,
बानी,अयाना,अक्षरा,मेधा, प्रदन्या, श्रवणिका,
हे सरस्वती,आशवि,अनीषा,मानसी प्रतिमान दे ।
■कवयित्री संपर्क-
■99266 23854
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