■कविता आसपास :तारक नाथ चौधुरी .
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♀ सांध्य-पलाश
♀ तारक नाथ चौधुरी
[ चरोदा-भिलाई, जिला-दुर्ग,छत्तीसगढ़ ]
तुम ऋतुराज बसंत और मैं
सांध्य की शुष्क पलाश!
दीर्घ बरस इक बीता कैसे,
जब हर क्षण था युग के जैसे,
मम दुःख ना बोलूँगी तुमसे
हो न हो विश्वास।
मैं सांध्य की शुष्क पलाश….
तुम आओगे इस हित मैंने
कितने श्रृँगार किये नित मैंने,
स्वप्न-कुसुम सिंदूरी मेरे
झर-झर हुए हताश।
मैं सांध्य की शुष्क पलाश…
मैं भोली ये जान सकी ना
भ्रमर किसी का हुआ कभी ना
तरस रही है सेज प्रणय की
सुख-वंचित बाहुपाश।
मैं सांध्य की शुष्क पलाश…
तुम ऋतुराज बसंत और मैं
सांध्य की शुष्क पलाश।
■कवि संपर्क-
■834 94 08210
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